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पिछले लेख में आपने पढ़ा कि किस तरह हम दोनों ने अपने घर से दिल्ली एयरपोर्ट तक का सफ़र तय किया ! यहाँ प्रतीक्षालय में बैठे-2 जब बोरियत होने लगी तो सोचा कि क्यों ना समय का सदुपयोग करते हुए एयरपोर्ट परिसर में ही थोड़ा घूम लिया जाए ! अभी 11 बज रहे थे और बोर्डिंग पास के अनुसार हितेश का बोर्डिंग समय 12 बजे का था, मतलब अभी भी हमारे पास एक घंटा बचा था ! हम दोनों अपना-2 बैग बोर्डिंग पास लेते समय जमा करवा ही चुके थे इसलिए अब हमारे पास सिर्फ़ कैबिन बैग ही थे, जिन्हें लेकर घूमने में कोई परेशानी नहीं थी ! इसलिए हम दोनों प्रतीक्षालय से उठकर एयरपोर्ट परिसर में टहलने लगे, घूमते हुए जब हमने वहाँ मौजूद एक स्नैक्स पॉइंट से पता किया तो वहाँ चाय-कॉफी के अलावा ज़्यादातर सामान पहले का बनाकर रखा हुआ था, जिसमें पनीर पेटीज, बर्गर, केक, और कुछ अन्य वस्तुएँ थी ! वैसे भूख तो लग रही थी, पर वहाँ रखा ज़्यादातर सामान ताज़ा नहीं लग रहा था ! इस बीच हितेश ने सुझाव दिया कि चल यार बाहर चलकर कुछ खा लेते है, वैसे भी अभी तो हमारे पास काफ़ी समय है !
पिछले लेख में आपने पढ़ा कि किस तरह हम दोनों ने अपने घर से दिल्ली एयरपोर्ट तक का सफ़र तय किया ! यहाँ प्रतीक्षालय में बैठे-2 जब बोरियत होने लगी तो सोचा कि क्यों ना समय का सदुपयोग करते हुए एयरपोर्ट परिसर में ही थोड़ा घूम लिया जाए ! अभी 11 बज रहे थे और बोर्डिंग पास के अनुसार हितेश का बोर्डिंग समय 12 बजे का था, मतलब अभी भी हमारे पास एक घंटा बचा था ! हम दोनों अपना-2 बैग बोर्डिंग पास लेते समय जमा करवा ही चुके थे इसलिए अब हमारे पास सिर्फ़ कैबिन बैग ही थे, जिन्हें लेकर घूमने में कोई परेशानी नहीं थी ! इसलिए हम दोनों प्रतीक्षालय से उठकर एयरपोर्ट परिसर में टहलने लगे, घूमते हुए जब हमने वहाँ मौजूद एक स्नैक्स पॉइंट से पता किया तो वहाँ चाय-कॉफी के अलावा ज़्यादातर सामान पहले का बनाकर रखा हुआ था, जिसमें पनीर पेटीज, बर्गर, केक, और कुछ अन्य वस्तुएँ थी ! वैसे भूख तो लग रही थी, पर वहाँ रखा ज़्यादातर सामान ताज़ा नहीं लग रहा था ! इस बीच हितेश ने सुझाव दिया कि चल यार बाहर चलकर कुछ खा लेते है, वैसे भी अभी तो हमारे पास काफ़ी समय है !
दिल्ली हवाई अड्डे का एक चित्र (A view from Delhi Airport) |
फिर वहाँ मौजूद एक अधिकारी से बाहर जाने का रास्ता पूछने पर उसने बताया कि यहाँ से बाहर नहीं जा सकते ! यहाँ से विमान प्रस्थान करते है इसलिए यहाँ सिर्फ़ अंदर आने का मार्ग है, बाहर जाने का मार्ग विमान आगमन क्षेत्र में है ! कसम से, एक साथ बॉलीवुड की वो सारी फिल्में याद आ गई जिनमें विलेन कहता है कि अंडरवर्ल्ड में अंदर आने के तो कई रास्ते है लेकिन बाहर जाने का रास्ता सिर्फ़ मौत है ! उस अधिकारी ने ही बताया कि अगर यहाँ यात्रियों की आवाजाही पर रोक ना लगाई तो यहाँ स्थिति अनियंत्रित हो सकती है ! पता चला एक आदमी को छोड़ने के लिए पूरी फौज आ गई और यहाँ बेवजह भीड़ हो गई ! हम दोनों निराश होकर वापस वहीं प्रतीक्षालय के अंदर वाले स्नैक्स पॉइंट पर ही आ गए, यहाँ से अपने लिए खाने-पीने के का थोड़ा सामान खरीदा और फिर वहीं प्रतीक्षालय में एक सीट पर बैठकर खाने लगे ! खैर, आदमी ग़लती से ही सीखता है हमारे लिए भी ये अगली हवाई यात्रा के लिए एक सबक रहेगा !
धीरे-2 घड़ी की सुई 12 की ओर जा रही थी, फिर जब 12 बजने में 5 मिनट शेष रह गए और हितेश का प्रस्थान समय हो गया तो वो जाकर एक पंक्ति में खड़ा हो गया ! प्रस्थान के लिए सभी यात्री इसी पंक्ति में खड़े थे, इस लाइन से होते हुए जब वो चेकिंग पॉइंट पर पहुँचा, तो गहन तलाशी लेने के बाद उसे अंदर प्रवेश दिया गया ! पंक्ति तक हितेश को छोड़कर मैं वहीं खड़ा होकर ये सब देख रहा था, जब हितेश अंदर चला गया तो मैं भी वापस प्रतीक्षालय की ओर चल दिया ! इस दौरान मैने वहाँ एक सूचना पट पर यात्रा के दौरान ले जाने और ना ले जाने वाले सामानों की सूची भी देखी ! उस समय याद नहीं रहा वरना आप लोगों के लिए उस सूची की एक फोटो भी ले लेता ! धीरे-2 टहलता हुआ मैं वापस आकर एक सीट पर बैठ गया और अपने मोबाइल में गाने सुनने लगा ! थोड़ी देर बाद हितेश से ये पूछने के लिए फोन किया कि क्या उसका विमान उड़ान भर चुका है या नहीं !
उसने बताया कि विमान उड़ान की तैयारियों में ही लगा हुआ है और अगले कुछ पलों में उड़ने ही वाला है, ये सुनकर मैने फोन काट दिया ! घड़ी में समय देखा तो पौने एक बजने वाले थे, मेरा विमान 1 बजकर 20 मिनट पर उड़ान भरने वाला था और मेरा प्रस्थान समय भी हो गया था ! इसलिए मैं भी प्रस्थान के लिए जाकर उसी पंक्ति में लगा गया जहाँ हितेश लगा था ! पंक्ति से होता हुआ जब मैं चेकिंग पॉइंट पर पहुँचा तो मुझे एक प्लास्टिक की टोकरी देकर अपना फोन और पर्स इसमें रखने को कहा गया ! मैने निर्देशों का पालन किया और टोकरी में अपना सामान रखकर चेकिंग करवाने के लिए आगे बढ़ गया ! मोबाइल और पर्स देने से पहले ही मैं अपना कैबिन बैग एक्स-रे मशीन में चेकिंग के लिए एक काउंटर पर रख चुका था, 5 मिनट इस चेकिंग में लग गए ! यहाँ से निकलकर जब मैने अंदर प्रवेश किया तो यहाँ का नज़ारा देखने लायक था, कुछ पल तो मैं भी इसी नज़ारे को देखता रहा !
यहाँ चारों तरफ बड़ी-2 दुकानें थी, जहाँ कपड़ों से लेकर घड़ियाँ, पर्स, शराब, मोबाइल, खाने-पीने का सामान और किताबें उपलब्ध थी ! इन सभी दुकानों के बीच बीएमड्ब्ल्यू की एक शानदार काले रंग की गाड़ी भी खड़ी थी, जो शायद यहाँ प्रदर्शन के लिए लगाई गई थी ! बहुत से लोग इन दुकानों पर खरीददारी करने में लगे थे, मैं इस सफ़र के लिए अपनी ज़रूरत का सारा सामान घर से ही लेकर चला था सिवाय खाने के, जो हम दोनों थोड़ी देर पहले यहाँ से ख़रीदकर खा चुके थे ! इस परिसर में काफ़ी लोग खड़े थे जबकि कुछ अन्य बैठ कर प्रतीक्षा कर रहे थे, एक गलियारे से होते हुए आगे बढ़ने पर एक अन्य प्रवेश द्वार था ! जगह-2 टीवी स्क्रीन के माध्यम से यात्रियों को विमानों के प्रस्थान से संबंधित जानकारी मुहैया कराई जा रही थी ! एक बार तो मैं उस परिसर में चारों तरफ घूम लिया, फिर जाकर एक सीट पर बैठ गया और अपने विमान से संबंधित जानकारी टीवी स्क्रीन पर देखने लगा !
थोड़ी देर बाद मेरे विमान G8-197 से संबंधित जानकारी टीवी स्क्रीन पर प्रदर्शित हुई, जानकारी के अनुसार सभी यात्रियों का विमान के लिए प्रस्थान शुरू हो चुका था ! ये देखकर मैं भी अंदर जाने के लिए बने प्रवेश द्वार के सामने वाली कतार में जाकर खड़ा हो गया ! इस कतार में G8-197 से यात्रा करने वाले कई यात्री पहले से ही खड़े थे, जब मैने अंदर प्रवेश कर लिया तो वहीं खड़े एक अधिकारी ने अपने पास मौजूद एक पर्ची में मेरी सीट के आगे चेक का निशान लगा दिया ! इस दरवाजे से बाहर निकलते ही सामने रनवे दिखाई दे रहा था, यहाँ से थोड़ी दूरी पर ही अलग-2 कंपनियों के विमान खड़े थे ! हमारे विमान के सभी यात्री दरवाजे से बाहर निकलते ही एक कतार में खड़े थे, मैं भी जाकर उसी कतार में खड़ा हो गया ! थोड़ी देर बाद यहाँ एक बस आई जिस पर गो-एयर लिखा था, जिसमें सभी यात्री बारी-2 से सवार होने लगे ! ये बस यात्रियों को यहाँ से विमान तक लेकर जाने वाली थी, यहाँ हर विमान की अलग-2 बसें थी, जैसे इंडिगो, गो-एयर, इंडियन एयरलाइन्स, और स्पाइसजेट !
हर बस पर विमान कंपनी का नाम लिखा था, वैसे ये बसें दिल्ली परिवहन निगम के अधीन चलने वाली लो फ्लोर बसों की तरह थी ! जब बस में काफ़ी यात्री सवार हो गए तो ये हमें लेकर विमान की ओर चल दी ! हालाँकि, विमान यहाँ से ज़्यादा दूर नहीं खड़ा था पर हर जगह का एक नियम होता है और सबको उसका पालन करना चाहिए ! यात्रियों को हवाई अड्डे पर रेलवे स्टेशन की तरह तो नहीं छोड़ सकते जो जाकर अपने आप अपने विमान में चढ़ जाए ! पता चला कि विमान छोड़कर रनवे पर ही इधर-उधर टहलने लगे और किसी दुर्घटना का कारण बन जाए, इसलिए यहाँ नियमानुसार यात्रियों को विमान तक ले जाया जा रहा था ! अब जाहिर सी बात है कि एक विमान के सारे यात्री एक बस में तो आने वाले नहीं थे, इसलिए जितने यात्री इस बस में चढ़ सकते थे चढ़े, और बाकी यात्री नीचे रह गए ! हमारी बस के चलने के बाद जो यात्री नीचे खड़े रह गए वो निश्चित तौर पर दूसरी बस के माध्यम से विमान तक लाए जाएँगे !
अगले 5 मिनट में विमान के पास जाकर हमारी बस रुक गई और इसके स्वचालित दरवाजे भी खुल गए ! सभी यात्री बारी-2 से नीचे उतरने लगे, अगले कुछ पलों में पूरी बस खाली होकर वापिस चली गई, शायद बचे हुए यात्रियों को लाने के लिए या फिर गो-एयर के ही किसी अन्य विमान के यात्रियों को उनके विमान तक पहुँचाने के लिए ! बस से उतरकर चलता हुआ मैं विमान के ठीक सामने पहुँच गया, यहाँ विमान में अंदर जाने के लिए सीढ़ियाँ लगाई गई थी जिसके माध्यम से सभी यात्री बारी-2 से अंदर जा रहे थे ! बस से उतरकर विमान के पास खड़े होकर कुछ लोग फोटो खींचने में लगे थे जबकि इसी दौरान कुछ अन्य लोग विमान में चढ़ते हुए सीढ़ियों पर खड़े होकर सेल्फी लेने में लगे थे ! पता नहीं जबसे ये सेल्फी का दौर चला है सभी लोग इसे लेने में इतने मशगूल रहते है कि आस-पास का माहौल या जगह भी नहीं देखते ! सेल्फी लेने के चक्कर में ही हाल के कुछ दिनों में कई घटनाएँ सुनने को मिली है, कोई पुल से गिर गया तो किसी से सेल्फी लेते हुए गोली भी चल गई !
अगले 5 मिनट में विमान के पास जाकर हमारी बस रुक गई और इसके स्वचालित दरवाजे भी खुल गए ! सभी यात्री बारी-2 से नीचे उतरने लगे, अगले कुछ पलों में पूरी बस खाली होकर वापिस चली गई, शायद बचे हुए यात्रियों को लाने के लिए या फिर गो-एयर के ही किसी अन्य विमान के यात्रियों को उनके विमान तक पहुँचाने के लिए ! बस से उतरकर चलता हुआ मैं विमान के ठीक सामने पहुँच गया, यहाँ विमान में अंदर जाने के लिए सीढ़ियाँ लगाई गई थी जिसके माध्यम से सभी यात्री बारी-2 से अंदर जा रहे थे ! बस से उतरकर विमान के पास खड़े होकर कुछ लोग फोटो खींचने में लगे थे जबकि इसी दौरान कुछ अन्य लोग विमान में चढ़ते हुए सीढ़ियों पर खड़े होकर सेल्फी लेने में लगे थे ! पता नहीं जबसे ये सेल्फी का दौर चला है सभी लोग इसे लेने में इतने मशगूल रहते है कि आस-पास का माहौल या जगह भी नहीं देखते ! सेल्फी लेने के चक्कर में ही हाल के कुछ दिनों में कई घटनाएँ सुनने को मिली है, कोई पुल से गिर गया तो किसी से सेल्फी लेते हुए गोली भी चल गई !
कुछ लोग तो तरह-2 के पोज़ देकर सेल्फी लेने में लगे रहते है जिनमें सबसे घटिया लगता है जीभ निकालकर और मुँह टेढ़ा करके सेल्फी लेना ! ऐसे लोगों को देखकर कभी-2 तो बहुत गुस्सा आता है और कभी-2 हँसी भी आ जाती है ! अरे भाई, भगवान ने सबको इतनी प्यारी शक्ल दी है तो पता नहीं लोग मुँह टेढ़ा करके फोटो खींचने में काहे लगे रहते है ! मैं सेल्फी लेने को ग़लत कतई नहीं कह रहा, पर फोटो लेने के लिए अपनी अच्छी-ख़ासी सूरत तो मत बिगाड़ो ! वैसे ये मेरी निजी राय है और आप मेरी राय से सहमत हो भी सकते है और नहीं भी ! सीढ़ियों पर फोटो ले रहे उन युवकों को पीछे छोड़ता हुआ मैं विमान में दाखिल हुआ, विमान में अंदर जाने पर मेरी बाईं ओर कॉकपिट का दरवाजा था जबकि दाईं ओर यात्रियों के बैठने की व्यवस्था थी ! दाईं ओर मुड़ने पर बीच में यात्रियों के चलने के लिए रास्ता और दोनों तरफ बैठने के लिए सीटें बनी थी ! एक पंक्ति में 3 लोगों के बैठने की व्यवस्था थी, मतलब 3 बीच वाले रास्ते के दाईं तरफ और 3 बाईं तरफ !
मुझे विमान के बीचों-बीच खिड़की से साथ वाली सीट मिली थी, विमान के अंदर बने मार्ग पर चलकर मैं दाईं ओर मुड़ा और अपनी सीट पर जाकर बैठ गया ! बैठने से पहले मैने अपना कैबिन बैग सीट के ऊपर सामान रखने वाले खानों (रैक) में रख दिया, और खिड़की से बाहर के नज़ारे देखने लगा ! फिर थोड़ी देर बाद विमान के चलने की उद्घोषणा हुई, सभी यात्रियों को अपनी-2 सुरक्षा पेटी बाँधने और मोबाइल सहित दूसरे विद्दुत चलित उपकरणों को बंद करने के निर्देश दिए गए ! इसके साथ ही विमान में मौजूद चालकदल के सदस्यों ने यात्रा के दौरान होने वाली परेशानियों और उनसे बचने से संबंधित जानकारी भी देनी शुरू कर दी ! सभी सीटों के पिछले हिस्से में सुरक्षा जानकारी से संबंधित एक पेज के अलावा सफ़र के दौरान पढ़ने के लिए कुछ पत्रिकाएँ भी थी ! फिर थोड़ी देर में हमारा विमान उड़ान भरने के लिए चल दिया, उड़ने से पहले इसने रनवे पर ही 150 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज़्यादा की रफ़्तार पकड़ ली, और अगले कुछ ही पलों में हमारा विमान ज़मीन को छोड़कर उपर आसमान की ओर उड़ चला !
विमान के उड़ान के भरने के दौरान वैसा ही महसूस हुआ जैसा किसी झूले में बैठकर ऊपर जाने पर होता है ! जहाज़ की खिड़की से नीचे देखने पर बहुत ही सुंदर नज़ारा दिखाई दे रहा था, नीचे की सभी इमारतें खिलोनों की तरह बहुत छोटी-2 दिखाई दे रही थी ! इस दौरान चालकदल के सदस्य शुरू में तो सुरक्षा संबंधित जानकारी मुहैया करवा रहे थे, पर विमान के उड़ान भर लेने के बाद ये सदस्य खाने-पीने के सामान से भरी एक ट्रॉली लेकर आ गए और यात्रियों में सामान वितरण करने लगे ! लोग अपनी सहूलियत अनुसार नकद भुगतान करके खाने-पीने का सामान ले रहे थे ! दिल्ली से उड़ान भरने के बाद विमान से नीचे काफ़ी देर तक तो नीचे मैदानी इलाक़ा दिखाई देता रहा, पर लगभग पौने घंटे बाद नीचे ऊँची-2 पहाड़ियाँ दिखाई देने लगी !
मेरे अनुमान के मुताबिक इस समय हमारा विमान पठानकोट के ऊपर कहीं उड़ रहा था, उड़ान के दौरान हमारे पायलेट ने विमान में सूचना दी कि हमारा विमान 37000 फीट की उँचाई पर और 800 किलोमीटर की अधिकतम रफ़्तार से उड़ रहा है ! फिर थोड़ी देर बाद विमान में इसके जम्मू एयरपोर्ट पर उतरने की उद्घोषणा हुई ! दरअसल, मैं जिस विमान से सफ़र कर रहा था ये सीधे श्रीनगर नहीं जा रहा था, बीच में आधे घंटे के लिए ये जम्मू में उतरने वाला था ! चालकदल के सदस्यों ने फिर से सभी यात्रियों को अपनी-2 सुरक्षा पेटी बाँधने का निर्देश दिया ! विमान के नीचे उतरते समय ऐसा महसूस हो रहा था जैसे झूले से नीचे आते समय होता है, अगले 5 मिनट में हमारा विमान रनवे पर दौड़ता हुआ एयरपोर्ट पर पहुँच गया !
इस विमान से जम्मू आने वाले सभी यात्री यहाँ उतर गए, और जम्मू से श्रीनगर जाने वाले कुछ नए यात्री विमान में सवार हो गए ! इस दौरान जम्मू एयरपोर्ट पर ग्राउंड स्टाफ ने जहाज़ के भीतर आकर सामान और टिकटों की तलाशी भी ली ! साढ़े तीन बजे हमारा विमान एक बार फिर से उड़ चला, विमान उड़ने से पहले चालकदल के सदस्यों ने एक बार फिर से सुरक्षा संबधित जानकारी सभी यात्रियों को दी ! लगभग आधे घंटे की उड़ान के बाद हम श्रीनगर एयरपोर्ट के ऊपर उड़ रहे थे, थोड़ी देर में हमारा विमान एयरपोर्ट पर उतर गया ! जहाज़ से नीचे उतरने के लिए सीढ़ियाँ लगा दी गई और विमान में सवार सभी यात्रियों ने नीचे उतरना शुरू कर दिया ! 10-15 मिनट बाद मैं भी विमान से नीचे आ गया और एयरपोर्ट पर आगमन क्षेत्र में अपना सामान लेने चल दिया !
Inside the Flight |
A view from Flight, New Delhi |
दिल्ली हवाई अड्डा (Delhi Airport) |
ऊपर से दिखाई देते नज़ारे (A view from flight) |
सफ़र के दौरान एक चित्र |
विमान से नीचे देखने पर |
जम्मू हवाई अड्डा (Jammu Airport) |
विमान से दिखाई देते पहाड़ |
श्रीनगर हवाई अड्डे से बाहर निकलने पर (Srinagar Airport) |
क्यों जाएँ (Why to go Srinagar): अगर आप श्रीनगर की डल झील में नौकायान के अलावा हाउसबोट में कुछ दिन बिताना चाहते है तो कश्मीर जाइए ! यहाँ घूमने के लिए पहाड़, झील, प्राकृतिक नज़ारे, बगीचे, नदियाँ सब कुछ है ! ऐसे ही इसे "धरती का स्वर्ग" नहीं कहा जाता, जो भी एक बार यहाँ आता है, वो यहाँ की खूबसूरती की तारीफ़ किए बिना नहीं रह पाता !
कब जाएँ (Best time to go Srinagar): वैसे तो आप साल के किसी भी महीने में श्रीनगर जा सकते है लेकिन यहाँ आने का सबसे बढ़िया समय अप्रैल से अक्तूबर का है सर्दियों में तो यहाँ कड़ाके की ठंड पड़ती है कई बार तो डल झील भी जम जाती है !
कैसे जाएँ (How to reach Srinagar): दिल्ली से श्रीनगर की दूरी 808 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 15-16 घंटे का समय लगेगा ! श्रीनगर देश के अन्य शहरों से सड़क और हवाई मार्ग से अच्छे से जुड़ा है जबकि यहाँ का नज़दीकी रेलवे स्टेशन उधमपुर है ! वैसे तो बारामूला से बनिहाल तक भी रेलवे लाइन है लेकिन इस मार्ग पर लोकल ट्रेन ही चलती है ! बारामूला से बनिहाल जाते हुए रास्ते में श्रीनगर भी पड़ता है ! उधमपुर से श्रीनगर तक आप बस या टैक्सी से भी आ सकते है, इन दोनों जगहों के बीच की कुल दूरी 204 किलोमीटर है और पूरा पहाड़ी मार्ग है जिसे तय करने में लगभग 5 घंटे का समय लगता है !
कहाँ रुके (Where to stay in Srinagar): श्रीनगर एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रुकने के लिए बहुत होटल है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 800 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! लेकिन अगर आप श्रीनगर में है तो कम से कम 1 दिन तो हाउसबोट में ज़रूर रुके ! डल झील में बने हाउसबोट में रुकने का अनुभव आपको ज़िंदगी भर याद रहेगा !
कहाँ खाएँ (Eating option in Srinagar): श्रीनगर में अच्छा-ख़ासा बाज़ार है, यहाँ आपको अपने स्वाद अनुसार खाने-पीने का हर सामान मिल जाएगा !
क्या देखें (Places to see in Srinagar): श्रीनगर और इसके आस-पास घूमने की कई जगहें है जिसमें से शंकराचार्य हिल, ट्यूलिप गार्डन, डल झील, सोनमर्ग, बेताब वैली, निशात गार्डन, मुगल गार्डन, शालीमार बाग, गुलमर्ग, परी महल, पहलगाम, खीर भवानी मंदिर और चश्मेशाही प्रमुख है !
श्रीनगर यात्रा
- श्रीनगर यात्रा - उड़ान भरने से पहले का सफ़र (Pre-Departure Journey)
- दिल्ली से श्रीनगर की विमान यात्रा (Flying Delhi to Srinagar)
- श्रीनगर हवाई अड्डे से डल झील की बस यात्रा (A Road Trip to Dal Lake)
- श्रीनगर से पहलगाम की सड़क यात्रा (A Road Trip to Pehalgam)
- सेब के बगीचों में बिताए कुछ पल (An Hour in Apple Orchard)
- श्रीनगर स्थानीय भ्रमण (Local Sight Seen of Srinagar)
- श्रीनगर से दिल्ली वापसी (Return Journey to Delhi)
अच्छा लिखा मुझे मेरी श्रीनगर यात्रा याद आ गई।
ReplyDeleteधन्यवाद त्यागी जी !
DeleteOfficical kam se kafi bar srinagar jana hua hai or kafi kuch dekh liya hai is doran....sonmarg , gulmarg or pehelgan dekhna baki hai
ReplyDeleteमहेश जी, अगली बार ऑफिस के काम से जाना हुआ तो छुट्टी लेकर घूम लीजिए बची हुई जगहों को भी !
Deleteअपनी हवाई यात्रा का वर्णन बहुत अच्छी तरंह से किया है । अंडरवल्ड वाला डाइलॉग आपने सही जगह मारा ।
ReplyDeleteउत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद किशन जी !
Deleteअपनी हवाई यात्रा का वर्णन बहुत अच्छी तरंह से किया है । अंडरवल्ड वाला डाइलॉग आपने सही जगह मारा ।
ReplyDeleteबिलकुल मेरी जयपुर यात्रा की तरह ही तुम्हारा भी अनुभव है ।जोरदार
ReplyDeleteधन्यवाद बुआ !
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