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वापसी का सफ़र भी श्रीनगर जाने से कम रोमांचक नहीं था, हुआ कुछ यूँ कि वापसी में भी मेरी और हितेश की अलग-2 विमानों में टिकटें थी ! हितेश का विमान सुबह 10:30 बजे उड़ान भरने वाला था जबकि मेरा विमान दोपहर पौने चार बजे उड़ान भर रहा था ! दोनों विमानों के उड़ान समय में 5 घंटे का अंतर होने के कारण हम दोनों का एक साथ हवाई अड्डे पर जाना मुमकिन नहीं था ! 5 घंटे हवाई अड्डे पर बैठ कर इंतजार करने से अच्छा है कि यहाँ होटल में ही रुककर आराम किया जाए ! एक-दो घंटो की बात होती तो अलग बात थी, पर 5 घंटे बहुत लंबा समय होता है ! अंत में ये निश्चय किया गया कि हितेश सुबह जल्दी उठकर हवाई अड्डे के लिए निकल जाएगा और मैं आराम से दोपहर को यहाँ से चलूँगा ! योजना के मुताबिक हितेश समय से सोकर उठा और सुबह साढ़े सात बजे तक नहा-धोकर तैयार हो गया ! नाश्ता करने बैठता तो देर हो जाती, इसलिए खाने-पीने का थोड़ा सामान उसने अपने साथ रख लिया !
जिस दौरान हितेश अपना बैग तैयार कर रहा था, मैं भी सोकर उठ चुका था और सामान रखवाने में उसकी मदद करने लगा ! फिर होटल से बाहर निकलकर दोनों खयबेर हॉस्पिटल के पास वाले टैक्सी स्टैंड पहुँच गए, यहाँ से हवाई अड्डा जाने के लिए 200 रुपए में एक ऑटो कर लिया ! हितेश को अलविदा कहने के साथ ही मैं वापिस होटल आ गया और हितेश हवाई अड्डे के लिए रवाना हो गया ! बाद में हितेश ने मुझे बताया कि ऑटो वाले ने भी हवाई अड्डे तक जाने में काफ़ी समय लगा दिया था और फिर हवाई अड्डे में अंदर जाने के लिए उसे एक जीप में सवार होकर जाना पड़ा, क्योंकि इस ऑटो वाले ने अंदर जाने से मना कर दिया था ! कल आराम करने के बाद अब मेरी हालत में काफ़ी सुधार हो गया था, इसलिए होटल पहुँचकर मैं छत पर टहलने चला गया, सुबह-शाम के मौसम में ठीक-ठाक ठंडक थी ! दिन में धूप होने के कारण राहत रह रही थी, यहाँ होटल में बैठकर समय बिताने से अच्छा मुझे यहाँ के स्थानीय बाज़ार में घूमना लगा !
इसलिए नहा-धोकर तैयार होने के बाद मैं अपने होटल से बाहर निकला और यहाँ के स्थानीय बाज़ार में घूमने के लिए चल दिया ! कल शाम को भी हम दोनों बहुत देर तक यहाँ के बाज़ार में घूमते रहे थे, इस दौरान हितेश ने यहाँ से अपने लिए एक जैकेट लिया था, आज सुबह मैने भी अपने लिए एक जैकेट खरीद लिया ! बाज़ार में घूमते हुए 11 बज गए थे, और अभी मुझे होटल जाकर अपना बैग भी तैयार करना था इसलिए वापिस अपने होटल की ओर चल दिया ! कल सुबह स्थानीय बाज़ार घूमते समय हम हवाई अड्डे तक जाने वाली जम्मू परिवहन की बसों से संबंधित जानकारी ले चुके थे ! जानकारी के मुताबिक पहली बस यहाँ से सुबह 9 बजे चलती है, अगर हितेश इस बस से जाता तो समय पर हवाई अड्डे तक पहुँचना उसके लिए मुश्किल होता ! जैसे-तैसे करके समय से हवाई अड्डे पर पहुँच भी जाता, पर वहाँ होने वाली चेकिंग में भी काफ़ी समय लगता है इसलिए वो ऑटो से गया !
मेरे पास तो समय की कोई कमी नहीं थी इसलिए मैं बस से ही हवाई अड्डे तक जाने वाला था ! होटल पहुँचकर मैने अपना सारा सामान अपने बैग में रखा और दोपहर पौने बारह बजे होटल से निकल लिया ! खयबेर चौक से होता हुआ हज़रतबल मार्ग पर पहुँच गया, यहाँ तिराहे पर आती-जाती हर बस रुकती है, फिर जब एक बस आकर रुकी तो मैं इसमें सवार हो गया और डलगेट पार करते हुए टीआरसी चौक पर उतर गया ! इस चौक से बाएँ मुड़कर थोड़ी दूर चलने पर ही टीआरसी बस स्टैंड है, जहाँ से हवाई अड्डे तक जाने के लिए हर आधे घंटे में एक बस चलती है ! जब मैं यहाँ पहुँचा तो दोपहर के 12 बज रहे थे, पूछताछ में पता चला कि अगली बस के आने में अभी समय था ! वैसे यहाँ का बस स्टैंड ज़्यादा बड़ा नहीं है, एक समय में यहाँ 5-6 बसें ही खड़ी हो सकती है ! इस समय वैसे तो यहाँ 3-4 बसें ही खड़ी थी पर इनमें से कोई भी बस हवाई अड्डे नहीं जाने वाली थी इसलिए मैं वहीं एक चबूतरे पर बैठ गया !
मेरा अनुमान था कि इस बस में अच्छी-ख़ासी भीड़ रहती होगी इसलिए पूछताछ के दौरान ही मैं बस का टिकट ले आया था ! वैसे शायद ये यहाँ का नियम है, कि यात्रा टिकट आपको बस में बैठने से पहले ही लेना होता है, क्योंकि पूछताछ के दौरान अधिकारी ने खुद ही कहा कि टिकट ले लो ! साढ़े 12 बजे एक बस अंदर आई, ड्राइवर से पूछने पर उसने बताया कि 1 बजे यही बस हवाई अड्डे के लिए रवाना होगी ! ये सुनते ही मैं बस में चढ़ा और सबसे आगे वाली सीट के नीचे अपना बैग रखकर वहीं बैठ गया ! इस समय मेरे अलावा बस में कोई भी दूसरी सवारी नहीं थी, मेरा अनुमान ग़लत था कि यहाँ से काफ़ी यात्री हवाई अड्डे के लिए जाते होंगे ! शायद लोगों को इन बसों के बारे में जानकाई नहीं है या फिर लोग ऑटो में ज़्यादा पैसे देने के आदि हो चुके है, खैर, वजह जो भी हो ! अगले दस मिनट में ही ड्राइवर फिर से बस में चढ़ा और उसने बस चालू कर दी ! अभी एक नहीं बजा था इसलिए मुझे लगा कि शायद ड्राइवर बस को आगे-पीछे कर रहा होगा ताकि दूसरी बसों को निकलने में परेशानी ना हो !
पर जब हमारी बस अड्डे से बाहर आ गई, तब मुझे अंदाज़ा हुआ कि अब हम हवाई अड्डे के लिए चल दिए है, इस बात की पुष्टि भी मैने ड्राइवर से कर ली ! मुझे बड़ा अचंभा हो रहा था कि कहीं देखी है ऐसी बस जो अकेले यात्री को लेकर ही चल दी है ! हमारी बस शहर के बीच से होती हुई, कई सरकारी इमारतों के सामने से ग़ुजरकर एक नहर के किनारे पहुँच गई ! काफ़ी देर तक बस नहर के साथ-2 चलती रही, फिर एक जगह पक्के पुल से होते हुए इस नहर को पार कर गई ! आज हम उस मार्ग से नहीं जा रहे थे जिस से श्रीनगर आते समय आए थे, उस दिन हम लाल चौक होते हुए गए थे जबकि आज हम अंदर वाले मार्ग से जा रहे थे ! राम बाग, भगत चौक होते हुए हम तेज़ी से हवाई अड्डे की ओर बढ़ रहे थे, बीच-2 में थोड़ा बहुत जाम भी मिला ! फिर हवाई अड्डे के बाहर पहुँचे तो यहाँ अंदर जाने वाले वाहनों की बहुत लंबी कतार लगी थी, देख कर अंदाज़ा हो गया था कि यहाँ काफ़ी समय लगने वाला है !
वो तो बढ़िया रहा कि मेरे पास पर्याप्त समय था, वहाँ तैनात सिपाही बारी-2 से गाड़ियों को निकाल रहा था, ड्राइवर ने बताया कि आज कोई मुस्लिम नेता यहाँ आने वाला है इसलिए सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम है ! थोड़ी देर बाद हमारी बस ने भी वो नाका पार कर लिया, थोड़ी आगे बढ़ने पर ड्राइवर मुझसे बोला कि आप नीचे उतरकर अपना सामान चेक पोस्ट पर बने दफ़्तर में चेक करवा लो ! उसने ये भी कहा कि चेकिंग के बाद मुझे चेक पोस्ट से आगे मिल जाना ! सामान चेक करवाने में मुझे ज़्यादा समय नहीं लगा, एक स्कैनिंग मशीन में मैने अपना बैग रखा और बाकी काम मशीन ने अपने आप कर दिया ! सामान लेकर मैं चेक पोस्ट से बाहर आ गया और बस के आने की प्रतीक्षा करने लगा, काफ़ी समय हो गया पर बस नहीं आई ! मुझे अंदेशा होने लगा कि या तो बस यहाँ से निकल चुकी है या कोई और बात है वरना इतना समय तो नहीं लगना चाहिए था ! फिर थोड़ी देर बाद मैं वहाँ से अपना बैग लेकर पैदल ही हवाई अड्डे की ओर चल दिया !
यहाँ से हवाई अड्डे की की दूरी लगभग 1 किलोमीटर के आस-पास थी, सीधा मार्ग होने के कारण हवाई अड्डा यहाँ से दिखाई भी दे रहा था ! खड़े होकर समय बर्बाद करने से अच्छा मैने आगे बढ़ने की सोची, 20 से 25 मिनट के बाद मैं हवाई अड्डे के बाहर पहुँचा जहाँ मुझे अपनी बस भी खड़ी मिली ! तब मुझे पता चला कि ड्राइवर मुझे छोड़कर पहले ही निकल आया था, क्योंकि पैदल आते हुए तो मुझे रास्ते में इस बस ने पार नहीं किया था ! इस समय बस में सवारियाँ भर चुकी थी और ये बस वापिस जाने की तैयारी में थी ! हवाई अड्डे के अंदर जाने के लिए बहुत लंबी कतार लगी थी, यहाँ एक कतार इंडिगो के विमान में जाने वाले यात्रियों की थी, जबकि दूसरी कतार में दूसरे विमानों में यात्रा करने वाले यात्री खड़े थे ! मेरी टिकट गो-एयर के विमान की थी इसलिए मैं दूसरी पंक्ति में जाकर खड़ा हो गया, थोड़ी देर में मेरा टिकट देखकर मुझे परिसर में अंदर जाने दिया ! यहाँ मैने अपना सामान एक स्कैनर मशीन में चेक करवाने के लिए सरका दिया और खुद एक दरवाजे से होकर अंदर चला गया ! चेकिंग के दौरान एक अधिकारी ने मुझे बुलाया और मुझे अपना बैग खोलने को कहा ! मैने कहा, ऐसा क्या डाल लाया हूँ बैग में कि यहाँ बैग खोल कर तलाशी ली जा रही है !
अधिकारी बोला आपके बैग में कैमरा है, उसे निकालकर दिखाओ ! मैने अपनी जेब से चाबी निकालकर बैग खोला और कैमरा निकालकर उस अधिकारी को दिखाया ! कैमरा चालू करके देखने के बाद वो बोला कि अब मैं इस कैमरे को अपने कैबिन बैग में रख लूँ, मैने ऐसा ही किया ! यहाँ से आगे बढ़ा तो एक खिड़की पर बोर्डिंग पास लेने चल दिया, यहाँ मैने कंप्यूटर से प्राप्त अपना टिकट दिखाया तो अधिकारी ने मेरे लिए बोर्डिंग पास जारी कर दिया ! यहाँ भी बैग को रखने के लिए वही प्रक्रिया अपनाई गई जो दिल्ली से यहाँ आते समय अपनाई थी, पहले बैग का वजन किया, फिर दो पर्ची निकालकर उसमें से एक बैग पर और दूसरी बोर्डिंग पास पर लगा दिया ! सामान जमा कराकर मैं अपना कैबिन बैग लेकर अंदर जाने के लिए एक पंक्ति में जाकर खड़ा हो गया, यहाँ बहुत लंबी लाइन लगी थी ! बारी-2 से यात्रियों को बुलाकर उनकी गहन तलाशी ली जा रही थी, आधे घंटे लाइन में खड़े रहने के बाद मेरा नंबर आया ! मेरे कैबिन बैग को पहले तो एक स्कैनर मशीन से चेक किया गया और फिर एक-2 सामान निकालकर उसकी तलाशी ली गई !
यहाँ तक फोन और कैमरा भी चालू करवाकर चेक किया गया, वैसे मुझे ये कैमरा और फोन चालू करवाकर चेक करने वाली बात समझ नहीं आई, अगर आप में से किसी को पता हो तो ज़रूर बताइए ! मुझसे पहले भी चेकिंग के दौरान कुछ यात्रियों के कैमरे चालू करवाकर उनके ही फोटो खींच कर देखे गए ! तलाशी के बाद मैं आगे बढ़ गया, यहाँ से आगे जाने पर आपको अपने सामान की पहचान करके वहाँ मौजूद अधिकारी को बताना होता है ! ऐसा करने के बाद वो आपके टिकट और सामान पर एक निशान लगा दे रहा था जो इस बात को प्रमाणित करता है कि उक्त सामान की पहचान हो चुकी है ! जिस सामान की पहचान नहीं होगी, या जिस सामान पर अधिकारी द्वारा निशान नहीं लगाया जाएगा, वो सामान विमान में नहीं चढ़ाया जाता ! ये बात मुझे वहाँ मौजूद एक अधिकारी से पता चली, उसने बताया कि इस तरह हम संदिग्ध सामान को विमान में चढ़ाने से रोकते है !
खैर, अपने सामान की पहचान करने के बाद मैं वापिस प्रतीक्षालय में आ गया और वहीं बैठकर थोड़ी देर आराम किया ! थोड़ी देर बाद मैं प्रथम तल पर बने प्रतीक्षालय में आ गया, यहाँ लोगों के मनोरंजन के लिए एक बड़ा टेलीविज़न लगा हुआ था ! काफ़ी देर तक बैठ कर मैं फिल्म देखता रहा, लगभग सवा तीन बजे मेरे विमान G8-184 की जानकारी एक दूसरी स्क्रीन पर प्रदर्शित हुई ! इस विमान में यात्रा करने वाले अन्य यात्रियों की तरह मैं भी विमान में चढ़ने के लिए जाकर एक कतार में लग गया ! यहाँ प्रवेश द्वार पर एक अधिकारी ने मुझे अंदर भेजने से पहले एक कागज पर मेरी सीट के आगे निशान लगा दिया ! द्वार से आगे बढ़ने पर एक लंबी गैलरी थी, जिसमें आगे जाकर एक तिराहा था, यहाँ से सीधे जाने पर आप हवाई अड्डे के विमान आगमन क्षेत्र में पहुँच जाओगे जबकि तिराहे से बाएँ मुड़ने पर मार्ग हमारे विमान तक जा रहा था !
इस गैलरी के अंतिम छोर को सीधे विमान से जोड़ा गया था ताकि यात्री आराम से विमान में प्रवेश कर सके ! जब मैं विमान में पहुँचा तो काफ़ी यात्री अपनी-2 सीटों पर बैठ चुके थे, इस यात्रा में दोनों बार मुझे खिड़की वाली सीट मिली थी ! मैने भी अपनी सीट का भरपूर लुत्फ़ उठाया और खिड़की से नीचे दिखाई देते नज़ारों के खूब सारे फोटो और वीडियो लिए ! जब सभी यात्री विमान में सवार हो गए तो फिर से वही प्रक्रिया दोहराई गई जो विमान के चलने से पहले बताई जाती है ! इसकी जानकारी मैं दिल्ली से श्रीनगर की विमान यात्रा में पहले ही दे चुका हूँ ! विमान उड़ने के थोड़ी देर बाद ही खूबसूरत नज़ारे भी दिखाई देने शुरू हो गए, रास्ते में हमें बर्फ से लदी सफेद पहाड़ियाँ भी दिखाई दी ! काफ़ी देर तक हमारा विमान पहाड़ों के ऊपर उड़ता रहा, इस दौरान मैं भी कभी इन पहाड़ियों की फोटो खींचने में तो कभी पहाड़ों की वीडियो बनाने में लगा रहा ! डेढ़ घंटे के सफ़र के बाद शाम सवा पाँच बजे हमारा विमान दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरा ! उतरते समय विमान में ही दिल्ली के तापमान और मौसम से संबंधित अन्य जानकारी दी गई !
विमान से उतरकर अपना सामान लेने में ही मुझे पौना घंटा लग गया ! फिर हवाई अड्डे से बाहर निकलकर मैं एक बस में बैठकर एरोसिटी मेट्रो स्टेशन पहुँचा ! मेट्रो कार्ड मेरे पास पहले से ही था इसलिए चेकिंग काउंटर से होते हुए सीधे प्लेटफार्म पर चल दिया, यहाँ पहुँचा तो पता चला कि अगली ट्रेन आने में अभी 13 मिनट का समय है ! निर्धारित समय पर अगली मेट्रो आई और उसमें सवार होकर मैं नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन पहुँचा, यहाँ से दूसरी मेट्रो पकड़कर फरीदाबाद के लिए प्रस्थान किया ! 8 बजे फरीदाबाद के एस्कोर्ट्स मुजेसर मेट्रो स्टेशन से बाहर निकलकर बल्लभगढ़ जाने के लिए एक ऑटो में सवार हो गया ! किस्मत अच्छी थी जो बल्लभगढ़ में पलवल जाने के लिए बस खड़ी मिली, बैठने के थोड़ी देर बाद ये बस चल भी दी ! फिर अगले पौने घंटे बाद मैं सकुशल अपने घर पहुँच गया ! तो इस तरह मेरी श्रीनगर यात्रा का समापन हुआ, इस यात्रा के दौरान मैं श्रीनगर में कई जगहों को देखने से वंचित रह गया ! अब अगली बार जब भी श्रीनगर जाना होगा तो उन जगहों को भी ज़रूर देखूँगा !
कब जाएँ (Best time to go Srinagar): वैसे तो आप साल के किसी भी महीने में श्रीनगर जा सकते है लेकिन यहाँ आने का सबसे बढ़िया समय अप्रैल से अक्तूबर का है सर्दियों में तो यहाँ कड़ाके की ठंड पड़ती है कई बार तो डल झील भी जम जाती है !
कैसे जाएँ (How to reach Srinagar): दिल्ली से श्रीनगर की दूरी 808 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 15-16 घंटे का समय लगेगा ! श्रीनगर देश के अन्य शहरों से सड़क और हवाई मार्ग से अच्छे से जुड़ा है जबकि यहाँ का नज़दीकी रेलवे स्टेशन उधमपुर है ! वैसे तो बारामूला से बनिहाल तक भी रेलवे लाइन है लेकिन इस मार्ग पर लोकल ट्रेन ही चलती है ! बारामूला से बनिहाल जाते हुए रास्ते में श्रीनगर भी पड़ता है ! उधमपुर से श्रीनगर तक आप बस या टैक्सी से भी आ सकते है, इन दोनों जगहों के बीच की कुल दूरी 204 किलोमीटर है और पूरा पहाड़ी मार्ग है जिसे तय करने में लगभग 5 घंटे का समय लगता है !
कहाँ रुके (Where to stay in Srinagar): श्रीनगर एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रुकने के लिए बहुत होटल है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 800 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! लेकिन अगर आप श्रीनगर में है तो कम से कम 1 दिन तो हाउसबोट में ज़रूर रुके ! डल झील में बने हाउसबोट में रुकने का अनुभव आपको ज़िंदगी भर याद रहेगा !
कहाँ खाएँ (Eating option in Srinagar): श्रीनगर में अच्छा-ख़ासा बाज़ार है, यहाँ आपको अपने स्वाद अनुसार खाने-पीने का हर सामान मिल जाएगा !
क्या देखें (Places to see in Srinagar): श्रीनगर और इसके आस-पास घूमने की कई जगहें है जिसमें से शंकराचार्य हिल, ट्यूलिप गार्डन, डल झील, सोनमर्ग, बेताब वैली, निशात गार्डन, मुगल गार्डन, शालीमार बाग, गुलमर्ग, परी महल, पहलगाम, खीर भवानी मंदिर और चश्मेशाही प्रमुख है !
समाप्त...
वापसी का सफ़र भी श्रीनगर जाने से कम रोमांचक नहीं था, हुआ कुछ यूँ कि वापसी में भी मेरी और हितेश की अलग-2 विमानों में टिकटें थी ! हितेश का विमान सुबह 10:30 बजे उड़ान भरने वाला था जबकि मेरा विमान दोपहर पौने चार बजे उड़ान भर रहा था ! दोनों विमानों के उड़ान समय में 5 घंटे का अंतर होने के कारण हम दोनों का एक साथ हवाई अड्डे पर जाना मुमकिन नहीं था ! 5 घंटे हवाई अड्डे पर बैठ कर इंतजार करने से अच्छा है कि यहाँ होटल में ही रुककर आराम किया जाए ! एक-दो घंटो की बात होती तो अलग बात थी, पर 5 घंटे बहुत लंबा समय होता है ! अंत में ये निश्चय किया गया कि हितेश सुबह जल्दी उठकर हवाई अड्डे के लिए निकल जाएगा और मैं आराम से दोपहर को यहाँ से चलूँगा ! योजना के मुताबिक हितेश समय से सोकर उठा और सुबह साढ़े सात बजे तक नहा-धोकर तैयार हो गया ! नाश्ता करने बैठता तो देर हो जाती, इसलिए खाने-पीने का थोड़ा सामान उसने अपने साथ रख लिया !
श्रीनगर की कुछ यादें - डल झील (Dal Lake in Srinagar) |
जिस दौरान हितेश अपना बैग तैयार कर रहा था, मैं भी सोकर उठ चुका था और सामान रखवाने में उसकी मदद करने लगा ! फिर होटल से बाहर निकलकर दोनों खयबेर हॉस्पिटल के पास वाले टैक्सी स्टैंड पहुँच गए, यहाँ से हवाई अड्डा जाने के लिए 200 रुपए में एक ऑटो कर लिया ! हितेश को अलविदा कहने के साथ ही मैं वापिस होटल आ गया और हितेश हवाई अड्डे के लिए रवाना हो गया ! बाद में हितेश ने मुझे बताया कि ऑटो वाले ने भी हवाई अड्डे तक जाने में काफ़ी समय लगा दिया था और फिर हवाई अड्डे में अंदर जाने के लिए उसे एक जीप में सवार होकर जाना पड़ा, क्योंकि इस ऑटो वाले ने अंदर जाने से मना कर दिया था ! कल आराम करने के बाद अब मेरी हालत में काफ़ी सुधार हो गया था, इसलिए होटल पहुँचकर मैं छत पर टहलने चला गया, सुबह-शाम के मौसम में ठीक-ठाक ठंडक थी ! दिन में धूप होने के कारण राहत रह रही थी, यहाँ होटल में बैठकर समय बिताने से अच्छा मुझे यहाँ के स्थानीय बाज़ार में घूमना लगा !
इसलिए नहा-धोकर तैयार होने के बाद मैं अपने होटल से बाहर निकला और यहाँ के स्थानीय बाज़ार में घूमने के लिए चल दिया ! कल शाम को भी हम दोनों बहुत देर तक यहाँ के बाज़ार में घूमते रहे थे, इस दौरान हितेश ने यहाँ से अपने लिए एक जैकेट लिया था, आज सुबह मैने भी अपने लिए एक जैकेट खरीद लिया ! बाज़ार में घूमते हुए 11 बज गए थे, और अभी मुझे होटल जाकर अपना बैग भी तैयार करना था इसलिए वापिस अपने होटल की ओर चल दिया ! कल सुबह स्थानीय बाज़ार घूमते समय हम हवाई अड्डे तक जाने वाली जम्मू परिवहन की बसों से संबंधित जानकारी ले चुके थे ! जानकारी के मुताबिक पहली बस यहाँ से सुबह 9 बजे चलती है, अगर हितेश इस बस से जाता तो समय पर हवाई अड्डे तक पहुँचना उसके लिए मुश्किल होता ! जैसे-तैसे करके समय से हवाई अड्डे पर पहुँच भी जाता, पर वहाँ होने वाली चेकिंग में भी काफ़ी समय लगता है इसलिए वो ऑटो से गया !
मेरे पास तो समय की कोई कमी नहीं थी इसलिए मैं बस से ही हवाई अड्डे तक जाने वाला था ! होटल पहुँचकर मैने अपना सारा सामान अपने बैग में रखा और दोपहर पौने बारह बजे होटल से निकल लिया ! खयबेर चौक से होता हुआ हज़रतबल मार्ग पर पहुँच गया, यहाँ तिराहे पर आती-जाती हर बस रुकती है, फिर जब एक बस आकर रुकी तो मैं इसमें सवार हो गया और डलगेट पार करते हुए टीआरसी चौक पर उतर गया ! इस चौक से बाएँ मुड़कर थोड़ी दूर चलने पर ही टीआरसी बस स्टैंड है, जहाँ से हवाई अड्डे तक जाने के लिए हर आधे घंटे में एक बस चलती है ! जब मैं यहाँ पहुँचा तो दोपहर के 12 बज रहे थे, पूछताछ में पता चला कि अगली बस के आने में अभी समय था ! वैसे यहाँ का बस स्टैंड ज़्यादा बड़ा नहीं है, एक समय में यहाँ 5-6 बसें ही खड़ी हो सकती है ! इस समय वैसे तो यहाँ 3-4 बसें ही खड़ी थी पर इनमें से कोई भी बस हवाई अड्डे नहीं जाने वाली थी इसलिए मैं वहीं एक चबूतरे पर बैठ गया !
मेरा अनुमान था कि इस बस में अच्छी-ख़ासी भीड़ रहती होगी इसलिए पूछताछ के दौरान ही मैं बस का टिकट ले आया था ! वैसे शायद ये यहाँ का नियम है, कि यात्रा टिकट आपको बस में बैठने से पहले ही लेना होता है, क्योंकि पूछताछ के दौरान अधिकारी ने खुद ही कहा कि टिकट ले लो ! साढ़े 12 बजे एक बस अंदर आई, ड्राइवर से पूछने पर उसने बताया कि 1 बजे यही बस हवाई अड्डे के लिए रवाना होगी ! ये सुनते ही मैं बस में चढ़ा और सबसे आगे वाली सीट के नीचे अपना बैग रखकर वहीं बैठ गया ! इस समय मेरे अलावा बस में कोई भी दूसरी सवारी नहीं थी, मेरा अनुमान ग़लत था कि यहाँ से काफ़ी यात्री हवाई अड्डे के लिए जाते होंगे ! शायद लोगों को इन बसों के बारे में जानकाई नहीं है या फिर लोग ऑटो में ज़्यादा पैसे देने के आदि हो चुके है, खैर, वजह जो भी हो ! अगले दस मिनट में ही ड्राइवर फिर से बस में चढ़ा और उसने बस चालू कर दी ! अभी एक नहीं बजा था इसलिए मुझे लगा कि शायद ड्राइवर बस को आगे-पीछे कर रहा होगा ताकि दूसरी बसों को निकलने में परेशानी ना हो !
पर जब हमारी बस अड्डे से बाहर आ गई, तब मुझे अंदाज़ा हुआ कि अब हम हवाई अड्डे के लिए चल दिए है, इस बात की पुष्टि भी मैने ड्राइवर से कर ली ! मुझे बड़ा अचंभा हो रहा था कि कहीं देखी है ऐसी बस जो अकेले यात्री को लेकर ही चल दी है ! हमारी बस शहर के बीच से होती हुई, कई सरकारी इमारतों के सामने से ग़ुजरकर एक नहर के किनारे पहुँच गई ! काफ़ी देर तक बस नहर के साथ-2 चलती रही, फिर एक जगह पक्के पुल से होते हुए इस नहर को पार कर गई ! आज हम उस मार्ग से नहीं जा रहे थे जिस से श्रीनगर आते समय आए थे, उस दिन हम लाल चौक होते हुए गए थे जबकि आज हम अंदर वाले मार्ग से जा रहे थे ! राम बाग, भगत चौक होते हुए हम तेज़ी से हवाई अड्डे की ओर बढ़ रहे थे, बीच-2 में थोड़ा बहुत जाम भी मिला ! फिर हवाई अड्डे के बाहर पहुँचे तो यहाँ अंदर जाने वाले वाहनों की बहुत लंबी कतार लगी थी, देख कर अंदाज़ा हो गया था कि यहाँ काफ़ी समय लगने वाला है !
वो तो बढ़िया रहा कि मेरे पास पर्याप्त समय था, वहाँ तैनात सिपाही बारी-2 से गाड़ियों को निकाल रहा था, ड्राइवर ने बताया कि आज कोई मुस्लिम नेता यहाँ आने वाला है इसलिए सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम है ! थोड़ी देर बाद हमारी बस ने भी वो नाका पार कर लिया, थोड़ी आगे बढ़ने पर ड्राइवर मुझसे बोला कि आप नीचे उतरकर अपना सामान चेक पोस्ट पर बने दफ़्तर में चेक करवा लो ! उसने ये भी कहा कि चेकिंग के बाद मुझे चेक पोस्ट से आगे मिल जाना ! सामान चेक करवाने में मुझे ज़्यादा समय नहीं लगा, एक स्कैनिंग मशीन में मैने अपना बैग रखा और बाकी काम मशीन ने अपने आप कर दिया ! सामान लेकर मैं चेक पोस्ट से बाहर आ गया और बस के आने की प्रतीक्षा करने लगा, काफ़ी समय हो गया पर बस नहीं आई ! मुझे अंदेशा होने लगा कि या तो बस यहाँ से निकल चुकी है या कोई और बात है वरना इतना समय तो नहीं लगना चाहिए था ! फिर थोड़ी देर बाद मैं वहाँ से अपना बैग लेकर पैदल ही हवाई अड्डे की ओर चल दिया !
यहाँ से हवाई अड्डे की की दूरी लगभग 1 किलोमीटर के आस-पास थी, सीधा मार्ग होने के कारण हवाई अड्डा यहाँ से दिखाई भी दे रहा था ! खड़े होकर समय बर्बाद करने से अच्छा मैने आगे बढ़ने की सोची, 20 से 25 मिनट के बाद मैं हवाई अड्डे के बाहर पहुँचा जहाँ मुझे अपनी बस भी खड़ी मिली ! तब मुझे पता चला कि ड्राइवर मुझे छोड़कर पहले ही निकल आया था, क्योंकि पैदल आते हुए तो मुझे रास्ते में इस बस ने पार नहीं किया था ! इस समय बस में सवारियाँ भर चुकी थी और ये बस वापिस जाने की तैयारी में थी ! हवाई अड्डे के अंदर जाने के लिए बहुत लंबी कतार लगी थी, यहाँ एक कतार इंडिगो के विमान में जाने वाले यात्रियों की थी, जबकि दूसरी कतार में दूसरे विमानों में यात्रा करने वाले यात्री खड़े थे ! मेरी टिकट गो-एयर के विमान की थी इसलिए मैं दूसरी पंक्ति में जाकर खड़ा हो गया, थोड़ी देर में मेरा टिकट देखकर मुझे परिसर में अंदर जाने दिया ! यहाँ मैने अपना सामान एक स्कैनर मशीन में चेक करवाने के लिए सरका दिया और खुद एक दरवाजे से होकर अंदर चला गया ! चेकिंग के दौरान एक अधिकारी ने मुझे बुलाया और मुझे अपना बैग खोलने को कहा ! मैने कहा, ऐसा क्या डाल लाया हूँ बैग में कि यहाँ बैग खोल कर तलाशी ली जा रही है !
अधिकारी बोला आपके बैग में कैमरा है, उसे निकालकर दिखाओ ! मैने अपनी जेब से चाबी निकालकर बैग खोला और कैमरा निकालकर उस अधिकारी को दिखाया ! कैमरा चालू करके देखने के बाद वो बोला कि अब मैं इस कैमरे को अपने कैबिन बैग में रख लूँ, मैने ऐसा ही किया ! यहाँ से आगे बढ़ा तो एक खिड़की पर बोर्डिंग पास लेने चल दिया, यहाँ मैने कंप्यूटर से प्राप्त अपना टिकट दिखाया तो अधिकारी ने मेरे लिए बोर्डिंग पास जारी कर दिया ! यहाँ भी बैग को रखने के लिए वही प्रक्रिया अपनाई गई जो दिल्ली से यहाँ आते समय अपनाई थी, पहले बैग का वजन किया, फिर दो पर्ची निकालकर उसमें से एक बैग पर और दूसरी बोर्डिंग पास पर लगा दिया ! सामान जमा कराकर मैं अपना कैबिन बैग लेकर अंदर जाने के लिए एक पंक्ति में जाकर खड़ा हो गया, यहाँ बहुत लंबी लाइन लगी थी ! बारी-2 से यात्रियों को बुलाकर उनकी गहन तलाशी ली जा रही थी, आधे घंटे लाइन में खड़े रहने के बाद मेरा नंबर आया ! मेरे कैबिन बैग को पहले तो एक स्कैनर मशीन से चेक किया गया और फिर एक-2 सामान निकालकर उसकी तलाशी ली गई !
यहाँ तक फोन और कैमरा भी चालू करवाकर चेक किया गया, वैसे मुझे ये कैमरा और फोन चालू करवाकर चेक करने वाली बात समझ नहीं आई, अगर आप में से किसी को पता हो तो ज़रूर बताइए ! मुझसे पहले भी चेकिंग के दौरान कुछ यात्रियों के कैमरे चालू करवाकर उनके ही फोटो खींच कर देखे गए ! तलाशी के बाद मैं आगे बढ़ गया, यहाँ से आगे जाने पर आपको अपने सामान की पहचान करके वहाँ मौजूद अधिकारी को बताना होता है ! ऐसा करने के बाद वो आपके टिकट और सामान पर एक निशान लगा दे रहा था जो इस बात को प्रमाणित करता है कि उक्त सामान की पहचान हो चुकी है ! जिस सामान की पहचान नहीं होगी, या जिस सामान पर अधिकारी द्वारा निशान नहीं लगाया जाएगा, वो सामान विमान में नहीं चढ़ाया जाता ! ये बात मुझे वहाँ मौजूद एक अधिकारी से पता चली, उसने बताया कि इस तरह हम संदिग्ध सामान को विमान में चढ़ाने से रोकते है !
खैर, अपने सामान की पहचान करने के बाद मैं वापिस प्रतीक्षालय में आ गया और वहीं बैठकर थोड़ी देर आराम किया ! थोड़ी देर बाद मैं प्रथम तल पर बने प्रतीक्षालय में आ गया, यहाँ लोगों के मनोरंजन के लिए एक बड़ा टेलीविज़न लगा हुआ था ! काफ़ी देर तक बैठ कर मैं फिल्म देखता रहा, लगभग सवा तीन बजे मेरे विमान G8-184 की जानकारी एक दूसरी स्क्रीन पर प्रदर्शित हुई ! इस विमान में यात्रा करने वाले अन्य यात्रियों की तरह मैं भी विमान में चढ़ने के लिए जाकर एक कतार में लग गया ! यहाँ प्रवेश द्वार पर एक अधिकारी ने मुझे अंदर भेजने से पहले एक कागज पर मेरी सीट के आगे निशान लगा दिया ! द्वार से आगे बढ़ने पर एक लंबी गैलरी थी, जिसमें आगे जाकर एक तिराहा था, यहाँ से सीधे जाने पर आप हवाई अड्डे के विमान आगमन क्षेत्र में पहुँच जाओगे जबकि तिराहे से बाएँ मुड़ने पर मार्ग हमारे विमान तक जा रहा था !
इस गैलरी के अंतिम छोर को सीधे विमान से जोड़ा गया था ताकि यात्री आराम से विमान में प्रवेश कर सके ! जब मैं विमान में पहुँचा तो काफ़ी यात्री अपनी-2 सीटों पर बैठ चुके थे, इस यात्रा में दोनों बार मुझे खिड़की वाली सीट मिली थी ! मैने भी अपनी सीट का भरपूर लुत्फ़ उठाया और खिड़की से नीचे दिखाई देते नज़ारों के खूब सारे फोटो और वीडियो लिए ! जब सभी यात्री विमान में सवार हो गए तो फिर से वही प्रक्रिया दोहराई गई जो विमान के चलने से पहले बताई जाती है ! इसकी जानकारी मैं दिल्ली से श्रीनगर की विमान यात्रा में पहले ही दे चुका हूँ ! विमान उड़ने के थोड़ी देर बाद ही खूबसूरत नज़ारे भी दिखाई देने शुरू हो गए, रास्ते में हमें बर्फ से लदी सफेद पहाड़ियाँ भी दिखाई दी ! काफ़ी देर तक हमारा विमान पहाड़ों के ऊपर उड़ता रहा, इस दौरान मैं भी कभी इन पहाड़ियों की फोटो खींचने में तो कभी पहाड़ों की वीडियो बनाने में लगा रहा ! डेढ़ घंटे के सफ़र के बाद शाम सवा पाँच बजे हमारा विमान दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरा ! उतरते समय विमान में ही दिल्ली के तापमान और मौसम से संबंधित अन्य जानकारी दी गई !
विमान से उतरकर अपना सामान लेने में ही मुझे पौना घंटा लग गया ! फिर हवाई अड्डे से बाहर निकलकर मैं एक बस में बैठकर एरोसिटी मेट्रो स्टेशन पहुँचा ! मेट्रो कार्ड मेरे पास पहले से ही था इसलिए चेकिंग काउंटर से होते हुए सीधे प्लेटफार्म पर चल दिया, यहाँ पहुँचा तो पता चला कि अगली ट्रेन आने में अभी 13 मिनट का समय है ! निर्धारित समय पर अगली मेट्रो आई और उसमें सवार होकर मैं नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन पहुँचा, यहाँ से दूसरी मेट्रो पकड़कर फरीदाबाद के लिए प्रस्थान किया ! 8 बजे फरीदाबाद के एस्कोर्ट्स मुजेसर मेट्रो स्टेशन से बाहर निकलकर बल्लभगढ़ जाने के लिए एक ऑटो में सवार हो गया ! किस्मत अच्छी थी जो बल्लभगढ़ में पलवल जाने के लिए बस खड़ी मिली, बैठने के थोड़ी देर बाद ये बस चल भी दी ! फिर अगले पौने घंटे बाद मैं सकुशल अपने घर पहुँच गया ! तो इस तरह मेरी श्रीनगर यात्रा का समापन हुआ, इस यात्रा के दौरान मैं श्रीनगर में कई जगहों को देखने से वंचित रह गया ! अब अगली बार जब भी श्रीनगर जाना होगा तो उन जगहों को भी ज़रूर देखूँगा !
डल झील का एक नज़ारा (A view of Dal Lake, Srinagar) |
डल झील का एक नज़ारा (A View from Dal Lake, Srinagar) |
चिनार का पेड़ (Chinar Tree) |
डल झील से दिखाई देता एक मनोरम दृश्य (A Morning in Dal Lake) |
विमान में जाते समय लिया एक चित्र |
विमान से दिखाई देता एक अन्य विमान (A View from Srinagar Airport) |
विमान से दिखाई देता घाटी का एक दृश्य (A view from Flight) |
विमान से दिखाई देता घाटी का एक दृश्य (Another view from Flight) |
क्यों जाएँ (Why to go Srinagar): अगर आप श्रीनगर की डल झील में नौकायान के अलावा हाउसबोट में कुछ दिन बिताना चाहते है तो कश्मीर जाइए ! यहाँ घूमने के लिए पहाड़, झील, प्राकृतिक नज़ारे, बगीचे, नदियाँ सब कुछ है ! ऐसे ही इसे "धरती का स्वर्ग" नहीं कहा जाता, जो भी एक बार यहाँ आता है, वो यहाँ की खूबसूरती की तारीफ़ किए बिना नहीं रह पाता !
कब जाएँ (Best time to go Srinagar): वैसे तो आप साल के किसी भी महीने में श्रीनगर जा सकते है लेकिन यहाँ आने का सबसे बढ़िया समय अप्रैल से अक्तूबर का है सर्दियों में तो यहाँ कड़ाके की ठंड पड़ती है कई बार तो डल झील भी जम जाती है !
कैसे जाएँ (How to reach Srinagar): दिल्ली से श्रीनगर की दूरी 808 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 15-16 घंटे का समय लगेगा ! श्रीनगर देश के अन्य शहरों से सड़क और हवाई मार्ग से अच्छे से जुड़ा है जबकि यहाँ का नज़दीकी रेलवे स्टेशन उधमपुर है ! वैसे तो बारामूला से बनिहाल तक भी रेलवे लाइन है लेकिन इस मार्ग पर लोकल ट्रेन ही चलती है ! बारामूला से बनिहाल जाते हुए रास्ते में श्रीनगर भी पड़ता है ! उधमपुर से श्रीनगर तक आप बस या टैक्सी से भी आ सकते है, इन दोनों जगहों के बीच की कुल दूरी 204 किलोमीटर है और पूरा पहाड़ी मार्ग है जिसे तय करने में लगभग 5 घंटे का समय लगता है !
कहाँ रुके (Where to stay in Srinagar): श्रीनगर एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रुकने के लिए बहुत होटल है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 800 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! लेकिन अगर आप श्रीनगर में है तो कम से कम 1 दिन तो हाउसबोट में ज़रूर रुके ! डल झील में बने हाउसबोट में रुकने का अनुभव आपको ज़िंदगी भर याद रहेगा !
कहाँ खाएँ (Eating option in Srinagar): श्रीनगर में अच्छा-ख़ासा बाज़ार है, यहाँ आपको अपने स्वाद अनुसार खाने-पीने का हर सामान मिल जाएगा !
क्या देखें (Places to see in Srinagar): श्रीनगर और इसके आस-पास घूमने की कई जगहें है जिसमें से शंकराचार्य हिल, ट्यूलिप गार्डन, डल झील, सोनमर्ग, बेताब वैली, निशात गार्डन, मुगल गार्डन, शालीमार बाग, गुलमर्ग, परी महल, पहलगाम, खीर भवानी मंदिर और चश्मेशाही प्रमुख है !
श्रीनगर यात्रा
- श्रीनगर यात्रा - उड़ान भरने से पहले का सफ़र (Pre-Departure Journey)
- दिल्ली से श्रीनगर की विमान यात्रा (Flying Delhi to Srinagar)
- श्रीनगर हवाई अड्डे से डल झील की बस यात्रा (A Road Trip to Dal Lake)
- श्रीनगर से पहलगाम की सड़क यात्रा (A Road Trip to Pehalgam)
- सेब के बगीचों में बिताए कुछ पल (An Hour in Apple Orchard)
- श्रीनगर स्थानीय भ्रमण (Local Sight Seen of Srinagar)
- श्रीनगर से दिल्ली वापसी (Return Journey to Delhi)
प्रदीप जी, आज कल आतंकवादी बमों को विस्फोट करने के लिए जिन ट्रिगरों का प्रयोग करते हैं, उन्हें कैमरे को थोड़ा सा बदल कर आसानी से बनाया जा सकता है. किन्तु ऐसा करने पर उनसे वह कार्य नहीं लिया जा सकता जिनके लिए वह वास्तव में बनाए गया था. इस लिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि उन्हें मॉडिफाई नहीं किया गया है, उन्हें प्रयोग करके देख लिया जाता है.
ReplyDeleteशर्मा जी, जानकारी देने के लिए बहुत-2 धन्यवाद आपका ! पर क्या कैमरे में रखे ऐसे विस्फोटक स्कैन मशीन में पकड़ में नहीं आते ?
Deleteसेकुरिटी चेक के बाद और बोर्डिंग से पहले जिस हॉल में आप ठहरते हैं वहां स्टाफ की मिली भगत से कोई खतरनाक वस्तु प्राप्त करने के विकल्प को नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता. चूँकि, सेकुरिटी चेक पहले हो चुका है, उस समय आपके पास कोई विस्फोटक नहीं होते और आप आराम से हॉल में पहुँच जाते हैं. वैसे भी मैंने बताया है की कैमरे को ट्रिगर के रूप में मॉडिफाई किया जाता है.
DeleteIs blog ko pad k aisa lag ra hai k tu Dal jheel k alawa kuch ghooma hi nahee Srinagar me. Lagta hai tu sirf hawai yatra karne gaya tha.
ReplyDeleteबिना योजना के जाने पर ऐसा ही होता है सौरभ ! इसलिए कह रहा हूँ कि चोपटा यात्रा की तैयारी और योजना पर काम करना शुरू कर दो !
Deleteबहुत बढ़िया प्रदीप भाई..... श्री नगर यात्रा का समापन अच्छा रहा | विमान का सफर हमने आज तक नही किया....आपके साथ कुछ अंदाजा हुआ विमान का
ReplyDeleteमेरा भी पहला ही अनुभव था प्लेन यात्रा का रितेश भाई !
Deleteयात्रा ज्यादा मजेदार नहीं रही।प्लेन का टिकिट कितने का था
ReplyDeleteतबीयत खराब होने से यात्रा का मज़ा खराब हो गया था !
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