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माता वैष्णो देवी का नाम आते ही सबका ध्यान जम्मू के कटरा में स्थित भवन की और चला जाता है, पर क्या आप जानते है कि मथुरा में भी माता वैष्णो देवी का एक मंदिर है ! गोविंद देव मंदिर से बाहर आकर मैने अपनी मोटरसाइकल उठाई और वृंदावन-मथुरा मार्ग से होता हुआ प्रेम मंदिर को पार करने के बाद माँ वैष्णो देवी के मंदिर पहुँच गया ! प्रेम मंदिर से निकलने के बाद इसी मार्ग पर थोड़ा आगे बढ़ने पर दूर से ही माँ शेरावाली की एक विशाल प्रतिमा मुख्य सड़क के बाईं ओर दिखाई देती है ! शेर पर सवार माँ शेरावाली की ये प्रतिमा माँ वैष्णो देवी के धाम में है और इस प्रतिमा में माँ के चरणों में हनुमान जी भी विराजमान है ! अगर इस मंदिर के इतिहास के बारे में बात करे तो मंदिर का निर्माण कार्य मई 2003 में शुरू हुआ था और अगले सात साल बाद मई 2010 में ये बनकर तैयार हुआ ! इस मंदिर का भी हिंदू धर्म में बहुत महत्व है, हर वर्ष लाखों भक्त यहाँ माता के दर्शन के लिए आते है !
माँ वैष्णो देवी मंदिर वृंदावन (Vaishno Devi Temple, Vrindavan) |
नवरात्रों में तो यहाँ आने वाले लोगों का मेला लग जाता है, इस मंदिर में माता के 9 अलग-2 रूपों का बहुत सुंदर चित्रण किया गया है ! माँ के सभी रूपों की मूर्तियाँ मंदिर परिसर में विराजमान है, ये सभी मूर्तियाँ एक गुफा में रखी गई है ! गुफा में कृत्रिम रोशनी की ऐसी भव्य व्यवस्था है कि देखने वालों की आँखें खुली रह जाती है ! कृत्रिम रोशनी में माता की मूर्तियाँ बहुत सुंदर लगती है, गुफा में प्रवेश करने के बाद माता के नौ रूप देखने के बाद आप गुफा से बाहर आ जाते है ! मंदिर परिसर में फोटो खींचने की सख़्त मनाही है, मोबाइल या कैमरा ले जाने पर भी प्रतिबंध है ! मंदिर के प्रवेश द्वार के पास सामान रखने की निशुल्क व्यवस्था है और मंदिर के सामने ही पार्किंग की भी व्यवस्था है जहाँ आप अपने वाहन निशुल्क खड़े कर सकते है ! जितनी बार भी मैं इस मंदिर के सामने से निकला हूँ, मुझे हमेशा यहाँ भीड़ ही दिखी है ! इस बात से ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इस मंदिर का महत्व कितना अधिक है !
मंदिर के सामने पहुँचकर मैने अपनी मोटरसाइकल पार्किंग में खड़ी की और अपना बैग सामान घर में जमा करवाने के बाद दर्शन के लिए चल दिया ! मंदिर के प्रवेश द्वार से लेकर मुख्य भवन तक जाने के लिए एक पक्का मार्ग बना है, सामान घर के साथ ही हाथ-पैर धोने के लिए कई टूटी लगी है ! इस मार्ग के किनारे छोटे-2 घास के मैदान है जिनमें रंग-बिरंगी फूल भी लगे हुए है ! इस मैदान के चारों तरफ चलने के लिए भी पक्का मार्ग बना है ! कैमरा तो मैं बाहर ही जमा करवा चुका था वरना आपको यहाँ के दृश्य भी अवश्य दिखाता, चलिए इसी बहाने शायद आपका यहाँ आने का विचार बन जाए ! मंदिर परिसर में बने इन मैदानों में जगह-2 स्पीकर लगे है जिनमें हमेशा भक्ति रस से भरपूर गीत सुनाई देते है ! पगडंडी पर चलते हुए ये ध्वनि बहुत मधुर लगती है, मन करता है घंटो बैठ कर ये भक्ति गीत सुनते रहो ! थोड़ी देर इस मार्ग पर चलने के बाद मैं गुफा के प्रवेश द्वार तक पहुँच गया, अंदर जाने पर मैने देखा कि जहाँ-2 मूर्तियाँ लगी है वहाँ प्रकाश की खूब अच्छी व्यवस्था है !
मूर्तियों को खूब जगमग किया गया है बाकि जगहों पर मध्यम रोशनी है ताकि चलते समय कोई दिक्कत ना हो ! अगर पूरी गुफा में ही तेज रोशनी रहेगी तो मूर्तियों की सुंदरता कैसे निखरकर सामने आएगी ! फिर लोगों को भी तेज रोशनी आँखों में चुभेगी और गुफा में तापमान भी बढ़ जाएगा ! गुफा में धीरे-2 आगे बढ़ता हुआ मैं माँ के अलग-2 रूप के दर्शन करता रहा, फिर चाहे वो गौरी रूप हो, दुर्गा हो या शेरोवली हो, माँ का तो हर रूप निराला है ! गुफा से बाहर आने के बाद में थोड़ी देर तक मंदिर प्रांगण में घूमता रहा, इस दौरान मैने ये देखा कि यहाँ लोगों के रुकने की भी अच्छी व्यवस्था है ! हालाँकि, मैने अंदर जाकर तो नहीं देखा पर मंदिर की अपनी धर्मशाला है जहाँ रुकने के साथ ही खाने-पीने का भी प्रबंध है, वृंदावन आने पर कुछ समय यहाँ आकर माँ के 9 रूप देखना भी आपको एक सुखद अनुभव देगा ! मंदिर से बाहर निकलकर मैने अपनी मोटरसाइकल उठाई और अपने घर के लिए प्रस्थान किया !
सूर्य देव |
ये फोटो एक पुरानी यात्रा यात्रा की है |
राष्ट्रीय राजमार्ग 2 पर लिया एक चित्र |
क्यों जाएँ (Why to go Vrindavan): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर धार्मिक नगरी की तलाश में है तो वृंदावन आपके लिए उपयुक्त स्थान है यहाँ भगवान कृष्ण को समर्पित इतने मंदिर है कि आप घूमते-2 थक जाओगे पर यहाँ के मंदिर ख़त्म नहीं होंगे ! वृंदावन के तो कण-2 में कृष्ण भगवान से जुड़ी यादें है, क्योंकि उनका बचपन यहीं ब्रज में ही गुजरा ! कृष्ण भक्तों के लिए इससे उत्तम स्थान पूरी दुनिया में शायद ही कहीं हो !
कब जाएँ (Best time to go Vrindavan): वृंदावन आप साल के किसी भी महीने में किसी भी दिन आ सकते है बस यहाँ के मंदिरों के खुलने और बंद होने का एक निर्धारित समय है अधिकतर मंदिर दोपहर 12 बजे के आस पास बंद हो जाते है ! फिर शाम को 5 बजे खुलते है, इसलिए जब भी वृंदावन आना हो, समय का ज़रूर ध्यान रखें !
कैसे जाएँ (How to reach Vrindavan): वृंदावन आने का सबसे बढ़िया और सस्ता साधन रेल मार्ग से है, मथुरा यहाँ का सबसे नज़दीकी बड़ा रेलवे स्टेशन है जो देश के अन्य शहरों से रेल मार्ग से बढ़िया से जुड़ा है ! मथुरा से वृंदावन की दूरी महज 15 किलोमीटर है, रेलवे स्टेशन के बाहर से वृंदावन आने के लिए आपको तमाम साधन मिल जाएँगे ! अगर आप दिल्ली से सड़क मार्ग से वृंदावन आना चाहे तो यमुना एक्सप्रेस वे से होते हुए आ सकते है ! दिल्ली से वृंदावन की कुल दूरी 185 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको ढाई से तीन घंटे का समय लगेगा !
कहाँ रुके (Where to stay in Vrindavan): वृंदावन एक प्रसिद्ध धार्मिक शहर है यहाँ रोजाना दर्शन के लिए हज़ारों यात्री आते है ! लोगों के रुकने के लिए यहाँ तमाम धर्मशालाएँ और होटल है ! आप अपनी सहूलियत के हिसाब से 500 रुपए से लेकर 2500 रुपए तक के होटल ले सकते है !
कहाँ खाएँ (Eating option in Vrindavan): वृंदावन में अच्छा ख़ासा बाज़ार है जहाँ आपको खाने-पीने के तमाम विकल्प मिल जाएँगे ! मथुरा के पेड़े तो दुनिया भर में मशहूर है अगर आप वृंदावन आ रहे है तो यहाँ के पेड़ों के अलावा कचोरियों का स्वाद भी ज़रूर चखें !
क्या देखें (Places to see in Vrindavan): ये तो मैं आपको बता ही चुका हूँ कि वृंदावन भगवान कृष्ण की नगरी है यहाँ घूमने के लिए अनगिनत मंदिर है ! फिर भी कुछ मंदिर है जो यहाँ आने वाले लोगों में ख़ासे लोकप्रिय है जिनमें से कुछ है बांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर, बिरला मंदिर, जयपुर मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि, माँ वैष्णो देवी मंदिर, रंगनाथ मंदिर और गोविंद देव मंदिर !
समाप्त...
वृंदावन यात्रा
- वृंदावन के प्रेम मंदिर में बिताए कुछ पल (An Hour Spent in Prem Mandir, Vrindavan)
- वृंदावन के जयपुर मंदिर की एक झलक (A View of Jaipur Temple in Vrindavan)
- वृंदावन का खूबसूरत बिरला मंदिर (Birla Temple of Vrindavan)
- श्रीकृष्ण जन्मभूमि और द्वारकाधीश मंदिर (Shri Krishna Janmbhoomi and Dwarkadheesh Temple, Mathura)
- वृंदावन का पागल बाबा मंदिर (Pagal Baba Temple of Vrindavan)
- भगवान विष्णु को समर्पित रंगनाथ मंदिर (A Temple Dedicated to Lord Vishnu)
- हिंदू-मुस्लिम शिल्पकला का प्रतीक - गोविंद देव मंदिर (Beauty of Govind Dev Temple, Vrindavan)
- माँ वैष्णो देवी धाम – वृंदावन (Maa Vaishno Devi Temple, Vrindavan)
एक ही समय में माता के नौ रूप देखना तो अद्भुत रहता होगा
ReplyDeleteजी बिल्कुल, बहुत अच्छा अनुभव रहता है !
Deleteबहुत शानदार मंदिर है प्रदीप भाई ,दो बार मुझे भी जाने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है |बाकि आपका वर्णन तो लाजबाब है ही |
ReplyDeleteउत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद रूपेश भाई !
Deletebadiya...mjhe ye sasubhagya issi varsh holi ke samay mila tha aur yakin jaane holi pe sabse best time hai yha jaane ka
ReplyDeleteJi Dhanyvaad...
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