सोमवार, 25 जनवरी 2016
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सुबह जब सोकर उठे तो कमरे में अंधेरा था, नियम के मुताबिक बिजली जा चुकी थी ! वैसे ये सही भी है वरना मैने अक्सर देखा है कि होटलों में लोग दिन भर बल्ब जला कर रखते है ! जहाँ सीमित संसाधन हो वहाँ इन संसाधनों का तरीके से ही प्रयोग करना चाहिए ! बिस्तर में सोते हुए ही मैने मोबाइल उठाकर समय देखा तो सुबह के 8 बजने वाले थे, खिड़की-दरवाजे बंद होने के कारण कमरे में अंधेरा था इसलिए समय का अंदाज़ा ही नहीं लग रहा था ! बगल वाले कमरे से अभी तक भी लोगों की तेज आवाज़ें सुनाई दे रही थी, पता नहीं ये लोग रात को सोए भी थे या नहीं ? चोट के कारण मेरे घुटने में अभी तक भी दर्द था, हिम्मत करके जैसे-तैसे करके मैं उठा और कमरे में ही धीरे-2 टहलने लगा ! मैं ये अनुमान लगाने की कोशिश कर रहा था कि आज देवरिया ताल जाने के लिए मेरे पैर साथ देंगे या नहीं ! मैं दर्द से कराह रहा था, संकट की इस घड़ी में भले ही मेरे पैर मेरा साथ नहीं दे रहे थे लेकिन दोस्तों ने भरपूर साथ दिया ! मैने भी हिम्मत करके सबके साथ देवरिया ताल जाने की घोषणा कर दी, सोचा सारी गाँव जाते हुए रास्ते में कहीं रुककर घुटनों की पट्टी बदलवाकर दर्द निवारक दवा ले लूँगा, तो देवरिया ताल की चढ़ाई आराम से हो जाएगी !
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देवरिया ताल का एक दृश्य (A Glimpse of Deoria Taal) |
चोपता में पड़ रही भयंकर ठंड की वजह से पानी की पाइपलाइन जम गई थी और जो पानी हमारे बाथरूम की बाल्टी में था वो इतना ठंडा था कि हाथ डालने से पहले कई बार सोचना पड़ता ! थोड़ी देर बाद हम चारों अपने कमरे से निकलकर नीचे चाय की दुकान पर पहुँचे, यहाँ 4 कप चाय बनाने के लिए कहकर हम सब ब्रश करने लगे ! वैसे चोपता में खाने की तरह ही चाय का स्वाद भी बहुत अच्छा नहीं है, इसकी मुख्य वजह है पाउडर वाला दूध ! हालाँकि, मैने पाउडर वाले दूध की चाय और भी कई जगहें पी है लेकिन शायद चाय बनाने के तरीके का भी अंतर हो ! हमने दो दिन में चोपता में जितनी बार भी चाय पी, शायद उसमें से एक बार ही चाय का स्वाद अच्छा रहा हो ! चाय पीते हुए आज के कार्यक्रम पर भी चर्चा चलती रही, हम अगर कल की तरह आज भी यहाँ नहाने-धोने में लग जाते तो काफ़ी समय लग जाता ! इसलिए निश्चय किया गया कि बिना नहाए ही जल्द-से-जल्द चोपता से निकलकर सारी गाँव पहुँचा जाए, सारी पहुँचकर आगे का कार्यक्रम तय करेंगे ! देवरिया ताल जाने के लिए चढ़ाई सारी गाँव से ही शुरू होती है, आप सारी गाँव को देवरिया ताल का बेस कैंप भी कह सकते है !
हमारा विचार आज ही देवरिया ताल देखकर वापसी की राह पकड़ने का था ताकि जितना हो सके, पहाड़ी रास्ता आज ही तय कर ले ! वैसे तो हरिद्वार से हमारी ट्रेन कल शाम को 6 बजे है लेकिन चोपता आते हुए हरिद्वार से सुबह 6 बजे चलकर चोपता पहुँचने में शाम के 6 बज गए थे ! ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन पर समय से पहुँचना ज़रूरी था और हम कोई जोखिम नहीं लेना चाहते थे ! चाय ख़त्म करने के बाद हम सब वापिस अपने कमरे में गए और अपना-2 सामान लेकर फिर से वापिस नीचे चल दिए, यहाँ होटल के मालिक को किराए का भुगतान करने के बाद चोपता के मुख्य चौराहे पर पहुँच गए ! फिर चाय की एक दुकान के बाहर बैठकर सारी गाँव जाने के लिए किसी सवारी का इंतज़ार करने लगे ! हम जानते थे कि यहाँ से सारी जाने के लिए कोई साधन नहीं मिलेगा, लेकिन पिछली सुबह यहाँ के रॉबिनहुड पांडे से बात हुई थी और उसने हमें आज सुबह 10 बजे यहाँ मिलने को कहा था ! कीर्ति सिंह चौहान (रॉबिनहुड पांडे) यहाँ चोपता में स्थानीय दुकानदारों को खाने-पीने का सामान मुहैया करवाता है और इसी बीच यहाँ आने-जाने वालों को उनके गंतव्य तक भी छोड़ देता है !
चोपता से गोपेश्वर जाने वाले मार्ग पर भी काफ़ी दूर तक बर्फ गिरी हुई थी, जब सब लोग सवारी का इंतजार कर रहे थे, मैं और जीतू इस मार्ग पर कुछ दूर तक जाकर फोटो खींच लाए ! ठंड के कारण यहाँ सड़क के किनारे बहता हुआ पानी भी जम गया था, यहाँ काफ़ी दूर तक बर्फ ही बर्फ दिखाई दे रही थी ! यहाँ चोपता के चौराहे पर कई निजी वाहन खड़े थे, कारों और छोटी बसों के अलावा कुछ दुपहिया वाहन भी खड़े थे ! सुबह इनमें से कुछ लोग वापसी की राह पकड़ रहे थे तो कुछ गोपेश्वर की तरफ जा रहे थे ! रात भर यहाँ खड़ा रहने के कारण इनपर बर्फ जम गई थी, ऐसी ही चंडीगढ़ नंबर की एक इनोवा गाड़ी ठंड के कारण स्टार्ट नहीं हो रही थी ! पूछने पर स्थानीय लोगों ने बताया कि ठंड के कारण गाड़ी का डीजल जम गया है, गाड़ी में बैठे लोग स्थानीय लोगों की मदद से इंजन के पास अंगीठी लगाकर डीजल को गरम करने की कोशिश में लगे थे ! हम 1 घंटे तक यहाँ खड़े रहे इस दौरान इन लोगों ने सारी तकनीकें अपना ली, लेकिन गाड़ी स्टार्ट नहीं हुई ! अंत में जब सूर्य देव निकले और तापमान सामान्य हुआ तब जाकर गाड़ी स्टार्ट हुई, और ये लोग यहाँ से गए !
हम लोग सुबह से ही रॉबिनहुड को फोन लगा रहे थे, लेकिन उसका नंबर बंद आ रहा था ! काफ़ी देर तक जब नंबर चालू नहीं हुआ तो हमें उसके आने की उम्मीद टूटती हुई लगी ! इस बीच जयंत और सौरभ जाकर एक स्थानीय दुकानदार से सारी गाँव जाने के लिए एक अन्य गाड़ी की बात करने लगे, 1000 रुपए में एक आल्टो वाला जाने के लिए तैयार भी हो गया ! सवा दस बज रहे थे जब जयंत और सौरभ आल्टो वाले से बात कर रहे थे कि तभी दूर से हॉर्न बजाते हुए एक बोलेरो आती हुई दिखाई दी ! मैने गाड़ी देखते ही पहचान लिया कि ये हमारा रॉबिनहुड ही था जो अपने वादे के मुताबिक यहाँ आ गया था ! आल्टो वाले को मना करके हम सब बिना देरी किए अपना सामान लेकर बोलेरो की ओर चल दिए, पिछली सीट पर हमने अपना सारा सामान रखा और आगे वाली सीटों पर बैठकर सारी गाँव जाने के लिए तैयार हो गए ! आज रॉबिनहुड से सारी गाँव जाने के लिए सौदा 1000 रुपए में तय हुआ था, अगले कुछ ही पलों में हमारी गाड़ी चोपता से बाहर निकलकर एक पहाड़ी रास्ते पर दौड़ रही थी ! ऊखीमठ जाने वाले मार्ग पर ही रास्ते में एक जगह सारी गाँव जाने के लिए मार्ग अलग होता है !
रास्ते में हमें कीर्ति सिंह ने बताया कि पिछली रात को चोपता आते हुए कुछ निजी गाड़ियाँ सड़क से फिसलकर नीचे गड्ढों में गिर गई थी, जिसे बाद में काफ़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला जा सका ! हालाँकि, इन हादसों में किसी को जान की क्षति नहीं हुई, लेकिन हादसा कभी भी बताकर नहीं आता इसलिए पहाड़ी मार्गो पर बर्फ़बारी के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए ! गाड़ियों के सड़क से फिसलने के वो निशान अभी तक भी दिखाई दे रहे थे जो किसी भी ड्राइवर में भय पैदा करने के लिए काफ़ी थे ! वैसे, इस समय भी सड़क के किनारे खूबसूरत दृश्यों की भरमार थी, रास्ते में एक जगह हमारी गाड़ी कुछ सामान देने के लिए चौहान होटल में रुकी ! घंटे भर के सफ़र के बाद हम ताला गाँव पहुँचे, ड्राइवर ने ही बताया था कि यहीं एक प्राथमिक उपचार केंद्र है, मैने यहाँ अपने पैर की पट्टी बदलवाई और कुछ दर्द निवारक दवाएँ भी ली ! यहीं एक दुकान पर रुककर स्वादिष्ट चाय पी और फिर 10-15 मिनट बाद हम सारी गाँव पहुँच गए !
सारी गाँव में सड़क के किनारे ही हिमांशु रेस्टोरेंट (9410776813) के नाम से एक होटल है जहाँ यात्रियों की सुविधाओं के लिए सारी सुविधाएँ उपलब्ध है, चाहे वो रुकने के लिए कमरे हो या पेट-पूजा के लिए भोजन ! इस होटल के बारे में मैने यहाँ आए अन्य यात्रियों के माध्यम से काफ़ी कुछ सुन रखा था, हरिद्वार के मेरे फ़ेसबुक मित्र पंकज शर्मा ने भी कहा था कि सारी गाँव में रुकने और खाने के लिए इस से बढ़िया शायद ही कोई दूसरी जगह हो ! इसलिए बिना ज़्यादा सोचे, हमने अपना सारा सामान इसी होटल के एक कमरे में रख दिया ! यहाँ बिताए कुछ समय में ही हमने जान भी लिया कि पंकज जी के अलावा दूसरे लोगों से हिमांशु होटल के बारे में सुनी बातें वाकई सच है, सारी में रुकने के लिए ये एक बढ़िया जगह है ! अपने साथ एक छोटे बैग में पानी की बोतल और खाने-पीने का कुछ सामान लेकर हमने देवरिया ताल की चढ़ाई शुरू कर दी ! यहाँ से चलने से पहले हमने दोपहर का भोजन बनाने के लिए भी कह दिया ताकि ताल से वापसी के बाद खाना खाकर यहाँ से तुरंत वापसी की राह पकड़ सके !
देवरिया ताल जाने का रास्ता सारी गाँव में सड़क के दाईं ओर जाने वाले एक मार्ग से होकर जाता है, ये मार्ग आगे एक गाँव में से होता हुआ पहाड़ी पर चढ़ता है ! थोड़ी देर की चढ़ाई के बाद रास्ते में नागराज देवता का एक मंदिर आता है, वैसे ये मंदिर भगवान शिव का है ! मंदिर प्रांगण में एक किनारे अपने जूते उतारकर हम दर्शन के लिए अंदर गए, मुख्य भवन के बाहर नंदी है, जबकि मुख्य भवन में शिवलिंग है ! इस मंदिर की भी काफ़ी मान्यता है, पुजारी ने हमें बताया कि वैसे तो ये काफ़ी प्राचीन मंदिर है लेकिन इसकी वर्तमान इमारत को बने ज़्यादा समय नहीं हुआ ! पुजारी ने हमें ये जानकारी भी दी कि मंदिर में स्थित शिवलिंग पर दूध चढ़ाने पर दूध और पानी अलग हो जाता है, और शिवलिंग पर भगवान के नाग की आकृति भी बनती है ! अपनी बात की पुष्टि के लिए उन्होने हमें शिवलिंग पर दूध चढ़ाकर भी दिखाया, उनकी कही दोनों बातें सत्य साबित हुई ! थोड़ी देर मंदिर में बिताने के बाद प्रसाद लेकर हम बाहर आ गए, और यहाँ से दूर दिखाई दे रहे चंद्रशिला पर्वत की फोटो खींचने लगे !
देवरिया ताल जाते हुए भी रास्ते में हमें कई खूबसूरत नज़ारे देखने को मिले, हर नज़ारा अपने आप में लाजवाब था ! सारी गाँव से देवरिया ताल की दूरी महज 3 किलोमीटर है, लेकिन सारा रास्ता चढ़ाई वाला है ! 2438 मीटर की ऊँचाई पर स्थित देवरिया ताल के बारे में कई कहावतें है ! ऐसी ही एक कहावत के अनुसार अपने अग्यातवास के दौरान पांडव जब देवरिया ताल में जल पीने गए थे तो यक्ष ने पाँचों पांडवों को बारी-2 से जल पीने से पहले कुछ प्रश्न पूछे थे, लेकिन युधिष्ठिर को छोड़कर बाकी चारों भाई बिना उत्तर दिए ही इस ताल का जल पी गए और मृत्यु को प्राप्त हुए ! फिर जब यक्ष ने युधिष्ठिर से प्रश्न पूछे तो उन्होनें सभी प्रश्नों का सही उत्तर दिया ! इस बात से प्रसन्न होकर यक्ष ने युधिष्ठिर से अपने किसी एक भाई को जीवित करवाने का प्रस्ताव दिया ! युधिष्ठिर ने एक तर्क देते हुए नकुल को जीवित करने के लिए कहा, तर्क से प्रसन्न होकर यक्ष ने चारों भाइयों को जीवित करने के साथ ही सरोवर का जल पीने की अनुमति भी दे दी ! देवरिया ताल जाने का रास्ता खूबसूरत दृश्यों से भरा पड़ा है, जैसे-2 आप ऊँचाई पर पहुँचते जाओगे, नज़ारे और भी सुंदर होते जाते है ! इस मार्ग में कई जगह सीधी खड़ी चढ़ाई है, ऊँचे-नीचे रास्तों से होते हुए डेढ़ घंटे का सफ़र तय करके हम देवरिया ताल पहुँचे !
देवरिया ताल से पहले खाने-पीने की कुछ दुकानें है, और यहाँ रुकने के लिए कैंपिंग की व्यवस्था भी है ! रुकने के लिए आप अपना टेंट लेकर भी जा सकते है और यहाँ ऊपर ही किराए पर भी टेंट ले सकते है ! दुकानों के पास से ही एक पतला रास्ता नीचे ताल तक जाता है, देवरिया ताल आते हुए सारी गाँव से ही एक कुत्ता हमारे साथ चला था जो पूरी यात्रा के दौरान हमारे साथ ही रहा और फिर नीचे भी हमारे साथ ही लौटा ! देवरिया ताल से थोड़ी पहले वन विभाग का एक कार्यालय है, जहाँ आपको ताल देखने जाने के लिए 150 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से एक फीस देनी होती है ! यहाँ टेंट लगाने के अलावा वीडियो फिल्म बनाने के लिए आपको अलग से एक शुल्क देना होता है ! ताल के आस-पास वन्य क्षेत्र है, हमें ताल के किनारे ही एक हिरण भी देखने को मिला जो ताल से पानी पीने आया था ! उसे देखते ही हमारे साथ गया कुत्ता दौड़कर उसकी ओर झपटा, लेकिन भला एक कुत्ता कभी हिरण को पकड़ पाया है ? पल भर में ही वो छू-मंतर हो गया ! ताल पर आधा घंटा बिताने के बाद हम वापिस खाने-पीने की दुकान पर आ गए, यहाँ मैगी खाने के बाद हमने वापसी की राह पकड़ी !
आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि सारी गाँव से ताल तक आने वाले मार्ग में कोई भी दुकान नहीं है इसलिए रास्ते में खाने-पीने का सामान अपने साथ लेकर चले ! एक घंटे का सफ़र तय करके हम वापिस सारी गाँव पहुँचे जहाँ हमारे लिए खाना तैयार हो चुका था ! थोड़ी देर में हमारे लिए खाना परोस दिया गया जिसमें मांडुआ की रोटी, सब्जी, दाल, और चावल शामिल थे ! खाना बहुत स्वादिष्ट बना था, चोपता में कई दिन से बेस्वाद खाना खा रहे थे, इसलिए आज जब बढ़िया खाना नसीब हुआ, तो सबने झिककर खाया ! सारी गाँव में होटल हिमांशु में जो युवक था वो बहुत व्यवाहारिक था, अगर आपको कभी देवरिया ताल जाना हो तो बेझिझक यहाँ रुक सकते है ! खाना ख़त्म करने के बाद हम जाकर कमरे से अपना सामान ले आए और फिर होटल वाले भाई ने ही हमारे लिए एक जीप की व्यवस्था करवा दी ! ये जीप वाला हमें 500 रुपए में ऊखीमठ तक छोड़ने के लिए तैयार हुआ, ऊखीमठ से आगे जाने के लिए हमें दूसरी जीप बदलनी पड़ी, जिसका विस्तार पूर्वक वर्णन में अपने अगले लेख में करूँगा !
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चोपता में बाइक पर जमी बर्फ |
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चोपता से गोपेश्वर जाने का मार्ग (Way to Gopeshwar) |
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दिशा दर्शाता एक बोर्ड (A sign Board in Chopta) |
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चोपता में होटल बुग्याल (Hotel Bugyal in Chopta) |
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चोपता में खड़ी निजी गाड़ियाँ (Vehicles in Chopta) |
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चोपता में खड़ी निजी गाड़ियाँ (Vehicles in Chopta) |
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चोपता में गिरता हुआ पानी भी जम गया |
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चोपता-गोपेश्वर मार्ग से दिखाई देता एक दृश्य |
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सारी गाँव में होटल हिमांशु |
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होटल हिमांशु का कर्ता-धर्ता |
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देवरिया ताल जाने के पथरीला मार्ग (Way to Deoria Taal) |
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देवरिया ताल जाने के पथरीला मार्ग (Way to Deoria Taal) |
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रास्ते से दिखाई देता एक दृश्य |
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दूर दिखाई देता नागराज मंदिर |
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नागराज मंदिर का एक दृश्य (A glimpse of Nagraj Temple) |
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देवरिया ताल के रास्ते से दिखाई देता एक दृश्य |
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लोग यहाँ खच्चरों से भी जाते है |
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पहाड़ी से दिखाई देता सारी गाँव |
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देवरिया ताल जाने का मार्ग |
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मार्ग से दिखाई देता पहाड़ी का एक दृश्य |
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पहाड़ी से दिखाई देता सारी गाँव |
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ये कुत्ता सारे सफ़र में हमारे साथ रहा |
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पहाड़ी से दिखाई देता एक दृश्य |
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पहाड़ी से दिखाई देता एक दृश्य |
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पहाड़ी से दिखाई देता एक दृश्य |
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रास्ते में विश्राम करने के लिए बना स्थान |
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पहाड़ी से दिखाई देता एक नज़ारा |
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देवरिया ताल जाते हुए रास्ते में जंगल |
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ऐसे नज़ारों की यहाँ भरमार थी |
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ऐसे नज़ारों की यहाँ भरमार थी |
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इसे देखकर क्या कहेंगे आप ? |
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ये नज़ारे इस यात्रा के बेहतरीन नज़ारे थे |
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देवरिया ताल से दिखाई देता एक दृश्य |
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ताल किनारे रुकने का शुल्क दर्शाता एक बोर्ड |
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देवरिया ताल का एक नज़ारा |
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एक ग्रुप फोटो भी हो जाए |
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ताल से वापिस आते हुए मार्ग में लिया एक चित्र |
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पहाड़ी से दिखाई देता सारी गाँव |
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नागराज मंदिर से दिखाई देता चंद्रशिला पर्वत |
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पहाड़ी से दिखाई देता सारी गाँव |
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थोड़ी पेट पूजा भी हो जाए |
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ऊखीमठ जाने की तैयारी |
क्यों जाएँ (Why to go Deoria Taal): अगर आपको धार्मिक स्थलों के अलावा रोमांचक यात्राएँ करना अच्छा लगता है तो देवरिया ताल आपके लिए एक बढ़िया विकल्प है ! पहाड़ियों की ऊँचाई पर स्थित इस ताल का धार्मिक महत्व भी है !
कब जाएँ (Best time to go Deoria Taal): वैसे तो आप साल के किसी भी महीने में देवरिया ताल जा सकते है ! गर्मियों के महीनों में भी यहाँ बढ़िया ठंडक रहती है जबकि दिसंबर-जनवरी के महीने में यहाँ भारी बर्फ़बारी होती है ! बर्फ़बारी के दौरान अगर देवरिया ताल जाने का मन बना रहे है तो अतिरिक्त सावधानी बरतें !
कैसे जाएँ (How to reach Deoria Taal): दिल्ली से देवरिया ताल जाने के लिए आपको ऊखीमठ होते हुए सारी गाँव पहुँचना होगा, देवरिया ताल की चढ़ाई सारी गाँव से ही शुरू होती है ! 3 किलोमीटर की चढ़ाई के बाद जब 2438 मीटर की ऊँचाई पर स्थित देवरिया ताल के प्रथम दर्शन होते है तो मन आनंदित हो उठता है ! मौसम साफ हो तो ताल में पहाड़ियों की चोटियों का प्रतिबिंब भी दिखाई देता है ! दिल्ली से देवरिया ताल की कुल दूरी 435 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको 12 से 13 घंटे का समय लगेगा !
कहाँ रुके (Where to stay in Deoria Taal): अगर आप अपना टेंट लेकर जा रहे है तो देवरिया ताल के पास ही टेंट लगाकर रुक सकते है, टेंट लगाने की एवज में आपको एक पर्यावरण शुल्क चुकाना होगा ! वैसे, यहाँ ताल के पास भी आपको टेंट किराए पर मिल जाएगा ! सारी गाँव में रुकने के लिए भी कुछ होटल है, जिसके लिए आपको 500 से 700 रुपए खर्च करने होंगे !
क्या देखें (Places to see in Deoria Taal): देवरिया ताल एक प्राकृतिक झरना है, जिसे देखने के लिए हर साल यहाँ हज़ारों सैलानी आते है ! मौसम साफ हो तो यहाँ से हिमालय की पहाड़ियों के दर्शन भी हो जाते है ! देवरिया ताल से ही तुंगनाथ मंदिर जाने के लिए जंगल से होकर एक पैदल मार्ग है ! रोमांच के शौकीन लोग इस मार्ग पर ट्रेकिंग करते हुए रोहिणी बुग्याल होते हुए तुंगनाथ जा सकते है कुल दूरी 15-16 किलोमीटर के आस-पास है !
अगले भाग में जारी...
तुंगनाथ यात्रा
- दिल्ली से हरिद्वार की ट्रेन यात्रा (A Train Journey to Haridwar)
- हरिद्वार से चोपता की बस यात्रा (A Road Trip to Chopta)
- विश्व का सबसे ऊँचा शिव मंदिर – तुंगनाथ (Tungnath - Highest Shiva Temple in the World)
- तुंगनाथ से चोपता वापसी (Tungnath to Chopta Trek)
- चोपता से सारी गाँव होते हुए देवरिया ताल (Chopta to Deoria Taal via Saari Village)
- ऊखीमठ से रुद्रप्रयाग होते हुए दिल्ली वापसी (Ukimath to New Delhi via Rudrprayag)
बहुत खूब चौहान साहब
ReplyDeleteधन्यवाद बीनू भाई !
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