नाहरगढ दुर्ग और जयपुर के बाज़ार (Nahargarh Fort and Jaipur Markets)

शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016

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ज़यगढ़ का किला देखकर जब हम बाहर निकले तो नाहरगढ़ जाने से पहले किले के बाहर खड़े एक फेरी वाले से राजस्थानी मटका कुल्फी का स्वाद चखा ! यहाँ से नाहरगढ़ का किला लगभग 7 किलोमीटर दूर है और किले तक जाने का रास्ता खूबसूरत दृश्यों से भरा पड़ा है ! कुल्फी ख़त्म करने के साथ ही हमने नाहरगढ़ के लिए प्रस्थान कर दिया, इस पहाड़ी मार्ग से जाते हुए दोनों ओर जंगल है ! सड़क के किनारे फैले इन जंगलों में थोड़ी अंदर जाने पर जंगली जानवर भी मिल जाते है, रात के समय तो ये जानवर इस मार्ग पर भी आ जाते है ! इसलिए रात में इस मार्ग पर आवागमन कम ही रहता है, स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार अंधेरा होने पर इस मार्ग पर लूट-पाट भी हो जाती है ! इस मार्ग पर चलते हुए रास्ते में एक जगह हमें सड़क के किनारे कई मोर दिखाई दिए, इनकी फोटो खींचने के लिए मैने अपनी गाड़ी सड़क के किनारे खड़ी कर दी ! लेकिन मोर भी कहाँ रुकने वाले थे, गाड़ी रुकते ही वो भी जॅंगल में भाग गए, बड़ी मुश्किल से एक-दो मोर कैमरे की पकड़ में आए ! थोड़ी देर यहाँ रुकने के बाद हम फिर से आगे बढ़ गए, वैसे फोटोग्राफी के लिए ये बढ़िया जगह है !
नाहरगढ़ किले से दिखाई देता जयपुर शहर

इस मार्ग पर आगे जाने पर सड़क किनारे इक्का-दुक्का दुकानें भी थी, जहाँ बाइक पर आए कुछ यात्री रुके हुए थे ! थोड़ी देर की यात्रा के बाद हम किले के पास पहुँच गए, यहाँ एक प्रवेश द्वार पर 40 रुपए का पार्किंग शुल्क अदा करने के बाद हम आगे बढ़ गए ! आगे जाकर मार्ग दो हिस्सों में बँट जाता है, दाएँ जाने वाला मार्ग किले के प्रवेश द्वार पर जाता है जबकि बाईं ओर जाने वाला मार्ग किले के बगल में स्थित एक बावली तक जाता है ! बावली के पास पहुँच कर हमने अपनी गाड़ी एक किनारे खड़ी की और एक ऊँचे स्थान की ओर चल दिए, यहाँ कुछ प्रेमी-युगल भी बैठे हुए थे ! यहाँ एक शीर्ष बिंदु से पूरा जयपुर शहर दिखाई देता है, दूर से दिखाई देती छोटी-2 इमारतों के बीच जलमहल और क्रिकेट स्टेडियम बहुत सुन्दर लगते है ! यहाँ स्थित बावली में रंग-दे-बसंती फिल्म का "मस्ती की पाठशाला" वाला गाना फिल्माया गया था ! बावली में इस समय ज़्यादा पानी नहीं था, लेकिन जितना भी पानी था वो गंदा था, जाहिर है बावली के रख-रखाव पर कोई ज़्यादा ध्यान नहीं देता ! पार्किंग के पास ही कुछ फेरी वाले खड़े थे जो खाने-पीने का सामान बेच रहे थे, हमारे अलावा कुछ अन्य पर्यटक भी उस समय वहाँ थे ! 

यहाँ तक आने वाले मुख्य मार्ग से बावली तक जाने के कई मार्ग है, जहाँ हम खड़े थे वहाँ से दो रास्ते बावली के ऊपरी भाग तक जाते है ! बावली के किनारे-2 एक पक्का मार्ग उस पार तक जाता है, उस पार जाने पर कुछ सीढ़ियों से होते हुए एक रास्ता पहाड़ी की ऊँचाई पर बने एक गुंबद तक जाता है ! लेकिन छोटे बच्चे साथ होने के कारण हम वहाँ तक नहीं गए ! जिस मार्ग से चलकर हम बावली की ओर गए, वो काफ़ी ढलान भरा था ! इस मार्ग के बगल में ही सीढ़ियों से होता हुआ एक अन्य मार्ग भी बावली की ओर जा रहा था, दोनों ही मार्गों पर बच्चों को लेकर चलना काफ़ी मुश्किल भरा था ! हम इस मार्ग से होते हुए बावली के पास तक गए, यहाँ एक स्थान पर खड़े होकर लोग फोटो खिंचवा रहे थे ! ये वही स्थान था जहाँ खड़े होकर रंग-दे-बसंती फिल्म में आमिर ख़ान और शरमन जोशी बियर पीते हुए बावली में गिरते है ! खैर, कुछ देर यहाँ बिताने के बाद हम वापिस पार्किंग की ओर चल दिए ! 

चलिए, अब कुछ जानकारी नाहरगढ़ किले के बारे में भी दे देता हूँ ! जयपुर राजस्थान की राजधानी होने के साथ-2 इस राज्य का सबसे बड़ा शहर भी है, नाहरगढ़ के किले का निर्माण आमेर के राजा जय सिंह द्वितीए ने 1734 में करवाया था, 1727 में जयपुर की स्थापना के बाद शहर की सुरक्षा के मद्देनज़र इस किले का निर्माण करवाया गया ! बाद में राजा ने अपनी राजधानी को आमेर से जयपुर स्थानांतरित कर दिया ! इस मजबूत किले की दीवारें बहुत चौड़ी है, सुरक्षा की दृष्टी से भी ये किला बहुत महत्वपूर्ण रहा होगा क्योंकि ऊंचाई पर बना होने के कारण सुरक्षाकर्मी उस समय शहर के चारों ओर निगरानी कर पाते होंगे ! जयपुर से मात्र 3 किलोमीटर दूर स्थित इस किले से पूरे शहर के अलावा जलमहल और जयपुर स्टेडियम का भी शानदार नज़ारा दिखाई देता है ! 

दिन भर किलों में घूमते हुए काफ़ी थकान हो गई थी, फिर बच्चे भी परेशान कर रहे थे ! इसलिए हम गाड़ी लेकर वापिस जयपुर की ओर चल दिए, रास्ते में जलमहल के पास रुककर कुछ फोटो भी खींचे, शाम के समय झील के बीच में स्थित ये महल बहुत सुंदर लग रहा था ! जब हम जयपुर पहुँचे तो शाम हो चुकी थी और हल्का-2 अंधेरा होने लगा था, जयपुर में घूमने-फिरने से लेकर खाने-पीने और खरीददारी करने के लिए बहुत अच्छे विकल्प है ! यहाँ की रज़ाईयाँ और सजावट के सामान पूरे देश में मशहूर है ! 

पुराने जयपुर में पवेश के कई द्वार है, जिनके नाम नीचे दिए गए है: 
  1. चाँदपोल 
  2. सूरजपोल 
  3. अजमेरी गेट 
  4. न्यू गेट 
  5. सांगानेरी गेट 
  6. घाट गेट 
  7. सम्राट गेट 
  8. ज़ोरावर सिंह गेट 
अब बात करते है जयपुर के बाज़ारों की, वैसे तो जयपुर में कई बाज़ार है जिनमें से कुछ बाज़ारों के नाम नीचे दिए गए है ! उम्मीद है इन बाज़ारों की जानकारी आपकी जयपुर यात्रा में आपके काम आएगी !

  1. जौहरी बाज़ार – चाँदपोल द्वार से प्रवेश करके बड़ी चौपड़ से दाएँ मुड़ने पर आपके बाईं ओर जौहरी बाज़ार फैला हुआ है, शादी-ब्याह की खरीददारी के लिए जयपुर का ये एक उत्तम स्थान है ! इस बाज़ार से आप लहँगा, हाथ से कढ़ाई किए हुए कपड़े, और कीमती पत्थर युक्त गहने खरीद सकते है ! यहाँ हीरों पर पोलिश भी की जाती है, यहाँ से खरीदे हुए गहनों की गुणवता भी काफ़ी अच्छी रहती है ! बाज़ार के खुलने का समय सुबह 10:30 है और ये शाम को 7:30 बजे बंद हो जाता है ! 
  2. त्रिपोलिया बाज़ार – चाँदपोल द्वार से प्रवेश करके छोटी चौपड़ पार करने के बाद त्रिपोलिया बाज़ार शुरू हो जाता है और ये बड़ी चौपड़ तक फैला हुआ है ! इस बाज़ार से आप हर तरह का सामान ले सकते है फिर चाहे वो कपड़े हो, लाख की चूड़ियाँ हो, कारपेट हो या बर्तन, सबकुछ इस बाज़ार में मिलता है ! त्रिपोलिया द्वार के सामने जाता हुआ चौड़ा मार्ग किताबों की खरीददारी के लिए सर्वोत्तम स्थान है ! ये बाज़ार भी सुबह 10:30 बजे खुलकर शाम को 7:30 बजे बंद हो जाता है ! 
  3. बापू बाज़ार – जौहरी बाज़ार से एमआइ रोड की तरफ जाने पर आपके दाईं ओर बापू बाज़ार फैला है ! जयपुरी जूतियाँ खरीदने के लिए ये बढ़िया जगह है इसके अलावा आप यहाँ से लेडीज़ पर्स और पत्थर से बने सजावट के सामान भी ले सकते है ! 
  4. किशनपोल बाज़ार – चाँदपोल द्वार से प्रवेश करने के बाद छोटी चौपड़ से दाएँ मुड़कर दूसरे चौराहे से फिर से दाएँ मुड़ने पर ये बाज़ार आता है ! यहाँ सामान्य कपड़ो से लेकर राजस्थानी पारंपरिक परिधान और अन्य वस्तुएँ मिलती है ! 
  5. नेहरू बाज़ार – बापू बाज़ार से क्लॉक टावर की तरफ चलने पर नेहरू बाज़ार आता है, खरीददारी के लिए ये भी अच्छा स्थान है !
किला देखकर वापिस आने के बाद थोड़ी देर अपने होटल में आराम करने के बाद हम रात्रि भोजन के लिए फिर से गाड़ी लेकर एमआइ रोड पर चल दिए ! यहाँ खाने-पीने के बढ़िया विकल्प है, इसलिए जयपुरी जायके का स्वाद चखना तो बनता ही था ! 10-15 मिनट बाद हम एमआइ रोड पर स्थित एक रेस्टोरेंट में पहुँच गए ! यहाँ की चिकन बिरयानी वाकई लाजवाब थी, खाकर मज़ा आ गया ! खाना ख़त्म करने के बाद हम अपने होटल के लिए चले ही थे कि अगले चौराहे पर फिर से एक पुलिस वाले ने हाथ देकर साइड में रुकने को कहा ! रात के साढ़े नौ बज रहे थे इसलिए वनवे भी ख़त्म हो चुका था तो अब ये क्यूँ रोक रहा है ! आगे जानबूझ कर बेरिकेटिंग लगाकर रास्ता ब्लॉक कर रखा था, मैने गाड़ी धीमी की, मेरे बगल में ही एक स्थानीय गाड़ी वाला भी था ! उसे तो बाईं ओर से निकलने को कह दिया, लेकिन मुझसे पुलिस वाला बोला, "गाड़ी साइड में लगाओ", चलान होगा ! मैने कहा मैं भी बाईं तरफ से निकल जाऊँगा, लेकिन वो मुझे बाहर वाला जानकर पैसे ऐंठने के मूड में था ! गाड़ी के सामने एक अन्य पुलिस वाला खड़ा था, मैने गाड़ी धीमी की और फिर एकदम रफ़्तार बढ़ाकर आगे निकल गया ! रात का समय था और परिवार साथ होने के कारण मैं बहस करने के मूड में नहीं था वरना पूछता ज़रूर कि ट्रैफिक नियमों में ये पक्षपात क्यों ?

इस बार पुलिस वालों से ना तो सिर खपाने का मन था और ना ही पैसे देने का, इसलिए वहाँ से निकल जाना ही एकमात्र उपाय था ! अगर मुझसे कोई कोई ग़लती हुई थी तो वोही ग़लती उस स्थानीय गाड़ी वाले से भी हुई थी, फिर दोनों के लिए नियम अलग-2 क्यों? भाई हर बार बाहर वाली गाड़ियाँ ही क्यों सज़ा भुगते? वैसे मैने अपनी इस यात्रा में गौर किया कि यहाँ जयपुर के पुलिस वाले बाहर की गाड़ियों को जानबूझ कर रोकते है और उन्हें चालान के नाम पर डरा कर पैसे वसूलने की कोशिश करते है ! बड़ा ही बेकार रवैया है, ऐसा ही रहा तो ये शहर यहाँ आने वाले लोगों के मन में ग़लत छाप छोड़ेगा ! भाई, चालान करना है तो करो, लेकिन इसमें पक्षपात तो मत करो, एक ही नियम को दो लोग तोड़े और उनमें से एक स्थानीय हो और दूसरा बाहरी, तो दोनों के लिए नियम भी बराबर रखों ना ! स्थानीय लोगों को ये नियम तोड़ने पर छोड़ देते है लेकिन मज़ाल हो जो बाहरी व्यक्ति को ये छोड़ दे ! ऐसा ही रहा तो लोग यहाँ आने से भी कतराने लगेंगे, पर्यटन विभाग को इस और ध्यान देना चाहिए वरना इसका खामियाज़ा यहाँ के पर्यटन पर पड़ेगा !

नाहरगढ़ जाने का मार्ग 
किले कि दीवार से दिखाई देता जयपुर शहर
किले के पास बनी बावली
किले से दिखाई देती मान सागर झील
रास्ते में आराम करते हुए
किले से दिखाई देता जलमहल
वापसी में सड़क के किनारे से लिया जलमहल का एक चित्र
झील के पीछे दूर तक फैली अरावली श्रंखला
सड़क के किनारे से लिया जलमहल का एक चित्र
सड़क किनारे सजावट का सामान


सड़क किनारे सजावट का सामान
हमारा फैमिली फोटो
सड़क के किनारे एक इमारत
क्यों जाएँ (Why to go Jaipur): अगर आप किले देखने के शौकीन है, राजसी ठाट-बाट का शौक रखते है तो निश्चित तौर पर जयपुर आ सकते है ! इसके अलावा राजस्थानी ख़ान-पान का लुत्फ़ उठाने के लिए भी आप जयपुर आ सकते है !

कब जाएँ (Best time to go Jaipur
): आप साल भर किसी भी महीने में यहाँ जा सकते है लेकिन गर्मियों में यहाँ का तापमान दिल्ली के बराबर ही रहता है और फिर गर्मी में किलों में घूमना भी पीड़ादायक ही रहता है ! बेहतर होगा आप ठंडे मौसम में ही जयपुर का रुख़ करे तो यहाँ घूमने का असली मज़ा ले पाएँगे !

कैसे जाएँ (How to reach Jaipur): दिल्ली से जयपुर की दूरी 280 किलोमीटर है, जयपुर दिल्ली के अलावा अन्य कई शहरों से भी रेल, सड़क और वायु तीनों मार्गों से जुड़ा हुआ है ! दिल्ली से हवाई मार्ग से जयपुर जाने पर 1 घंटा, रेलमार्ग से 5-6 घंटे, और सड़क मार्ग से लगभग 5 घंटे का समय लगता है ! आप अपनी सहूलियत के हिसाब से किसी भी मार्ग से जा सकते है !


कहाँ रुके (Where to stay in Jaipur): जयपुर एक पर्यटन स्थल है यहाँ प्रतिदिन घूमने के लिए हज़ारों लोग आते है ! जयपुर में रुकने के लिए बहुत होटल है आप अपनी सुविधा के हिसाब से 500 रुपए से लेकर 7000 रुपए तक के होटलों में रुक सकते है !


क्या देखें (Places to see in Jaipur
): जयपुर में देखने के लिए वैसे तो बहुत जगहें है लेकिन सिटी पैलेस, आमेर दुर्ग, जयचंद दुर्ग, नाहरगढ़ दुर्ग, हवा महल, जंतर-मंतर, बिरला मंदिर, एल्बर्ट हाल म्यूज़ीयम, जल महल, क्रिकेट स्टेडियम, और चोखी-धानी प्रमुख है ! चोखी-धानी तो अपने आप में घूमने लायक एक शानदार जगह है ! अधिकतर लोग यहाँ राजस्थानी व्यंजन का आनंद लेने जाते है, ये एक गाँव की तरह बनाया गया है जहाँ आप राजस्थानी व्यंजनों के अलावा स्थानीय लोकगीत और लोकनृत्यों का आनंद भी ले सकते है !

अगले भाग में जारी...

जयपुर यात्रा
  1. दिल्ली से जयपुर की सड़क यात्रा (A Road Trip to Jaipur)
  2. आमेर के किले में बिताए कुछ पल (A Memorable Day in Amer Fort, Jaipur)
  3. जयगढ़ किले में बिताया एक दिन (A Day in Jaigarh Fort, Jaipur)
  4. नाहरगढ दुर्ग और जयपुर के बाज़ार (Nahargarh Fort and Jaipur Markets)
  5. जयपुर का सिटी पैलेस और हवा महल (City Palace and Hawa Mahal of Jaipur)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

6 Comments

  1. मेरे साथ भी जयपुर में ये घटना घट चुकी है ।पुलिस वाले ने मेरे से 200rs की रिश्वत मांगी थी नाहरगढ़ किले पे।में अपनी bike से जा रहा था तो उन्हनो रोक किया। license check किया और कहा ये यहाँ नही चलता।उन से खूब बहस हुई। में बहार वाला था इस लिया मुझे ही हार मन नी पड़ी।

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    1. मतलब मैं अकेला भुक्तभोगी नहीं हूँ, वैसे मैंने सिटी पैलेस से निकलते हुए भी एक पुलिस वाले को रेवाड़ी नंबर की गाडी को रोककर चालान के लिए डराते हुए देखा था ! पर्यटकों के मन पर अपनी गलत चाप छोड़ रही है वहां की पुलिस ! इस मामले में हिमाचल पुलिस काफी ठीक लगी मुझे, अपनी धर्मशाला-मैक्लोडगंज यात्रा के अनुभव से बता रहा हूँ !

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  2. बहुत बढ़िया ! पुलिस के साथ ऐसे पंगे होते रहते हैं ! जयपुर की सड़क किनारे लगा सामन बहुत आकर्षक है विशेष रूप से चप्पल !

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    1. सही कहा योगी जी, जयपुर में ऐसे सामान आपको अधिकतर चौराहों पर दिख जाएँगे !

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