शनिवार, 22 अप्रैल 2017
रात को खाना खाने के बाद हम समय से आराम करने अपने बिस्तर पर चले गए, दिनभर की थकान के कारण रात को अच्छी नींद आई और सुबह समय से आँख भी खुल गई ! आज हमें मसूरी से आगे चंबा के लिए निकलना था, बीच में धनोल्टी, सुरकंडा देवी मंदिर और कनातल घूमने का भी विचार भी था ! हम सब नहा-धोकर समय से तैयार हुए और नाश्ता करने के बाद मसूरी में बिताये यादगार लम्हों को अपने मन में समेटे हुए गाडी लेकर यहाँ से प्रस्थान किया ! वापसी में लाइब्रेरी चौक को पार करने के बाद हम लेंडोर होते हुए धनोल्टी जाने वाले मार्ग पर चल दिए, शुरू में मार्ग थोडा संकरा था लेकिन जैसे-2 आगे बढ़ते गए, रास्ता भी चौड़ा होता गया ! थोड़ी देर बाद हम एक खुले मार्ग पर थे, इस मार्ग पर लेंडोर पार करने के बाद एक जगह से बहुत सुन्दर नज़ारे दिखाई देते है, अपनी पिछली धनोल्टी यात्रा के दौरान हमने यहाँ रूककर कुछ फोटो भी खिंचवाए थे ! लेकिन आज यहाँ वो हरियाली तो नहीं थी जो जुलाई-अगस्त के महीने में रहती है, हाँ, घना जंगल तो अब भी यहाँ था !
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मसूरी से धनोल्टी जाने का मार्ग (Mussoorie Dhanaulti Road) |
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मसूरी से धनोल्टी जाने का मार्ग (Mussoorie Dhanaulti Road) |
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मसूरी से धनोल्टी जाने का मार्ग (Mussoorie Dhanaulti Road) |
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मार्ग से दिखाई देता घाटी का एक दृश्य |
इस मार्ग पर आगे बढ़ते हुए हमें इक्का-दुक्का वाहन ही दिखे, लेकिन सफ़र के दौरान आनंद पूरा आया ! मसूरी से घंटे भर का सफ़र तय करके सुवाखोली होते हुए हम धनोल्टी पहुंचे, इस दौरान रास्ते में एक-दो जगह हम फोटो खींचने के लिए भी रुके ! साफ़ मौसम और तेज धूप के कारण घाटी का शानदार दृश्य दिखाई दे रहा था ! धनोल्टी से थोडा पहले जाकर हम रुके, यहीं से एक रास्ता ऊपर पहाड़ी पर जाता है, पिछली बार हम इस पहाड़ी पर भी गए थे, स्थानीय लोग इस पहाड़ी को तपोवन के नाम से जानते है, आप यहाँ क्लिक करके मेरी तपोवन यात्रा को पढ़ सकते है ! गाडी सड़क के किनारे खड़ी करके हम आस-पास के नज़ारे देखने लगे, यहाँ से देखने पर दूर कहीं बर्फ से आच्छादित पहाड़ियों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है ! वैसे अभी आस-पास की पहाड़ियों से तो हरियाली नदारद थी, एकदम गंजे पहाड़ दिखाई दे रहे थे ! लेकिन जुलाई-अगस्त के महीनों में इन पहाड़ों की ख़ूबसूरती देखते ही बनती है, जब चारों तरफ देखने पर हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है !
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धनौल्टी से थोडा पहले |
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धनौल्टी से थोडा पहले |
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मार्ग से दिखाई देते पहाड़ पर सीढ़ीनुमा खेत |
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मस्ती करता हुआ उत्कर्ष |
कुछ फोटो खींचने के बाद हम यहाँ से आगे बढे तो धनोल्टी स्थित इको पार्क के सामने जाकर ही रुके !गाडी सड़क के किनारे खड़ी करके हमने पार्क में जाने के प्रवेश टिकट लिए, और मुख्य द्वार से होते हुए पार्क के अन्दर चले गए ! पार्क के अन्दर चारों तरफ बढ़िया हरियाली है, बड़े-2 चीड़ के पेड़ और इन पेड़ों के बीच लोगों के बैठने के लिए छतरी के आकार की कुछ झोपडियाँ बनाई गई है ! इको पार्क में कुछ पौधों के सामने लकड़ी की तख्तियों पर पौधारोपण करने वाले व्यक्ति का नाम, और तिथि अंकित है, इसके अलावा पार्क परिसर में अन्य पेड़ों पर पेड़ के नाम अंकित है ! पार्क में जगह-2 लोगों के बैठने के लिए लकड़ी के चबूतरे बनाए गए है, बीच-2 में कुछ झूले भी है ताकि जब लोग घूमते हुए थक जाए तो कुछ देर इन झूलों पर बैठकर आराम कर सके ! लकड़ी का एक झूलता हुआ पुल भी यहाँ है जो रस्सी के सहारे दोनों किनारों पर बंधा हुआ था !
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इको पार्क के बाहर का एक दृश्य |
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इको पार्क के अन्दर का एक दृश्य |
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इको पार्क के अन्दर का एक दृश्य |
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इको पार्क के अन्दर का एक दृश्य |
ये पुल पार करने के लिए आपको अच्छी मशक्कत करनी पड़ी है, कुल मिलाकर बच्चों-बड़ों सबके मनोरंजन के लिए यहाँ बढ़िया इंतजाम किये गए है ताकि आगंतुकों के मनोरंजन में कुछ कमी ना रह जाए ! पार्क के बीच से गुजरती हुई लकड़ी से बनी हुई मेढ्नुमा सीढ़ियों से होते हुए हम पार्क के शिखर की ओर चल दिए, थोड़ी देर बाद हम ऊपर पहुँच गए ! यहाँ से देखे पर पार्क और इसके आस-पास फैले खूबसूरत नजारों का एक शानदार दृश्य दिखाई देता है, यहाँ एक व्यक्ति टेलिस्कोप से दूर पहाड़ियों पर स्थित जगहों को दिखा रहा था ! इस पार्क के शीर्ष पर भी एक छतरीनुमा शेड बना हुआ है, जहाँ लोगों के बैठने की व्यवस्था है ! यहाँ से देखने पर थोड़ी दूरी पर ही तपोवन की पहाड़ी भी दिखाई देती है, कुछ देर यहाँ बिताने के बाद हम वापिस नीचे आ गए ! मेंढीनुमा सीढ़ियों से होते हुए जब हम नीचे पहुंचे तो यहाँ पार्क में बहुत से परिवार आ चुके थे, कुछ बंगाली लोग भी थे, ये सभी लोग सब अपने-आप में व्यस्त थे !
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इको पार्क के अन्दर का एक दृश्य |
पार्क में टहलते हुए हमने कुछ प्रेमी युगलों को भी देखा जो पार्क में एकांत जगह की तलाश में थे, पार्क के एक अलग हिस्से में कुछ अन्य युगल हाथों में हाथ डाल कर इश्क लड़ाते भी नज़र आए ! टहलते हुए हम प्रवेश द्वार के पास आकर एक बेंच पर बैठ गए, यहीं से बाहर मार्ग के किनारे खड़े एक फेरी वाले से मैगी और चाय बनाने का कह दिया ! जब तक मैगी और चाय तैयार हुई, हम पार्क में फोटोग्राफी करते रहे, 10-15 मिनट में मैगी वाले ने आवाज़ देकर हमें बताया कि हमारी मैगी और चाय तैयार हो गई है ! फिर हम पार्क से बाहर आ गए, थोड़ी देर बाद हम खा-पीकर फारिक हुए और धनोल्टी से चंबा जाने वाले मार्ग पर कनातल की ओर बढ़ गए ! कुछ देर चलने के बाद हम सुरकंडा देवी की ओर जाने वाले मार्ग के सामने पहुंचे ! यहाँ मुख्य मार्ग से लगभग 2 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके मंदिर तक पहुंचा जा सकता है, मंदिर तक जाने के लिए सीमेंट का पक्का मार्ग बना है और चढ़ाई भी ठीक-ठाक है ! आज मौसम साफ़ था और धूप भी बढ़िया खिली थी, ऐसी धूप में बच्चों को लेकर इस मंदिर तक जाना मुश्किल काम था !
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धनोल्टी से चंबा जाते हुए |
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धनोल्टी से चंबा जाने का मार्ग |
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धनोल्टी से चंबा जाने का मार्ग |
बीवी-बच्चों से पूछा तो उनका भी मंदिर जाने का कुछ ख़ास मन भी नहीं था ! ये सुनकर हमने मंदिर जाने का विचार त्याग दिया, मंदिर जाने वाले मार्ग के सामने से निकलते हुए हमने देखा कि इस मार्ग पर काफी अच्छी सजावट की गई थी ! खैर, यहाँ से आगे बढे तो हम कनातल, चंबा, नरेन्द्र नगर होते हुए ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पहुंचे, रास्ते में जहाँ कहीं भी शानदार नज़ारे दिखाई दिए, हम फोटो खिंचवाने के लिए रुके ! त्रिवेणी घाट शहर के बीचों-बीच एक भीड़-भाड़ वाले इलाके में है, हम गूगल मैप की सहायता से घाट के पास स्थित पार्किंग स्थल में पहुंचे ! यहाँ 50 रूपए का पार्किंग शुल्क देकर अपनी गाडी खड़ी करने के बाद हम त्रिवेणी घाट के पास पहुँच गए ! यहाँ अच्छी चलल-पहल थी, फेरी वाले खेल-खिलोने और सज्जा का सामान बेच रहे थे, हमने दोनों बच्चों के लिए कुछ खिलौने लिए ! त्रिवेणी घाट पर रोज शाम को 7 बजे माँ गंगा की आरती होती है, इस आरती के बारे में मैंने काफी सुन रखा था इसलिए हमारा विचार शाम की इस आरती में शामिल होने का था !
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त्रिवेणी घाट का एक दृश्य |
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त्रिवेणी घाट का एक दृश्य |
त्रिवेणी घाट तीन पवित्र महत्वपूर्ण नदियों गंगा, यमुना, और सरस्वती का संगम स्थल है, ऋषिकेश में ये सबसे पूज्यनीय पवित्र स्नान स्थल है जोकि गंगा नदी के तट पर स्थित है ! इस घाट का मुख्य आकर्षण प्रतिदिन सांयकालीन माँ गंगा की होने वाले आरती है जिसे सामान्य तौर पर महाआरती कहा जाता है ! ये भी मान्यता है कि त्रिवेणी घाट में जो लोग स्नान करते है उन्हें उनके द्वारा किये गए समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है ! इस घाट का जल उन्हें शुद्ध करने की शक्ति देता है, त्रिवेणी घाट का हिन्दू पौराणिक कथाओं और पुराणों में एक महत्वपूर्ण स्थान है जिसका उल्लेख हिन्दू महाकाव्यों रामायण और महाभारत में भी मिलता है ! ऐसा भी माना जाता है कि भगवान् श्रीकृष्ण को ज़रा नाम के शिकारी ने तीर से घायल किया था तो उन्होंने इस पवित्र स्थल का दौरा किया था ! त्रिवेणी घाट के तट पर लोकप्रिय गीता मंदिर और लक्ष्मीनारायण मंदिर भी स्थित है ! अभी शाम के 5 बज रहे थे, आरती शुरू होने में अभी काफी समय था, इसलिए हमने समय का सदुपयोग करते हुए थोडा पेट-पूजा भी कर ली !
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त्रिवेणी घाट का एक दृश्य |
अब हमारा अगला काम रात्रि विश्राम के लिए एक होटल ढूँढने का था, हमने काफी मशक्कत की लेकिन घाट के पास अधिकतर होटल भरे हुए थे ! एक-दो धर्मशालाएं खाली थी, लेकिन वहां की साफ़-सफाई ओर व्यवस्था देख कर रुकने का मन नहीं हुआ ! थक-हारकर हमने यहाँ से निकलकर हरिद्वार की राह पकड़ी, ताकि अपने लिए एक होटल ढूंढ सके, पता चला आरती के चक्कर में त्रिवेणी घाट पर फंसे रहे और फिर रात को होटल ढूँढने के लिए हरिद्वार-ऋषिकेश की गलियों में भटकते फिरे ! थोड़ी भाग-दौड़ के बाद हमें हरिद्वार में होटल "द ग्रेट आनंदा" में एक कमरा मिल गया ! यात्रा सीजन ना होने के कारण थोडा मोल-भाव करके 1500 रूपए में सौदा तय हो गया ! अब कभी फिर से हरिद्वार आना होगा तो त्रिवेणी घाट की आरती में ज़रूर शामिल होऊंगा ! रात्रि विश्राम के बाद सुबह नाश्ता करने के बाद हमने वापसी की राह पकड़ी और दोपहर 3 बजे तक अपने घर पहुँच गए ! इसी के साथ ये यात्रा समाप्त होती है, जल्द ही आपको किसी और यात्रा पर लेकर चलूँगा !
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हरिद्वार में हमारे होटल का एक दृश्य |
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हरिद्वार में हमारे होटल का एक दृश्य |
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हरिद्वार में हमारे होटल का एक दृश्य |
क्यों जाएँ (Why to go Dhanaulti): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के समीप कुछ समय बिताना चाहते है तो मसूरी से 25 किलोमीटर आगे धनोल्टी का रुख़ कर सकते है ! यहाँ करने के लिए ज़्यादा कुछ तो नहीं है लेकिन प्राकृतिक दृश्यों की यहाँ भरमार है !
कब जाएँ (Best time to go Dhanaulti): धनोल्टी आप साल के किसी भी महीने में जा सकते है, हर मौसम में धनोल्टी का अलग ही रूप दिखाई देता है ! बारिश के दिनों में यहाँ की हरियाली देखने लायक होती है जबकि सर्दियों के दिनों में यहाँ बर्फ़बारी भी होती है ! लैंसडाउन के बाद धनोल्टी ही दिल्ली के सबसे नज़दीक है जहाँ अगर किस्मत अच्छी हो तो आप बर्फ़बारी का आनंद भी ले सकते है !
कैसे जाएँ (How to reach Dhanaulti): दिल्ली से धनोल्टी की दूरी महज 325 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 7-8 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से धनोल्टी जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग मेरठ-मुज़फ़्फ़रनगर-देहरादून होकर है ! दिल्ली से रुड़की तक शानदार 4 लेन राजमार्ग बना है, रुड़की से छुटमलपुर तक एकल मार्ग है जहाँ थोड़ा जाम मिल जाता है ! फिर छुटमलपुर से देहरादून- मसूरी होते हुए धनोल्टी तक शानदार मार्ग है ! अगर आप धनोल्टी ट्रेन से जाने का विचार बना रहे है तो यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन देहरादून है, जो देश के अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है ! देहरादून से धनोल्टी महज 60 किलोमीटर दूर है जिसे आप टैक्सी या बस के माध्यम से तय कर सकते है ! देहरादून से 10-15 किलोमीटर जाने के बाद पहाड़ी क्षेत्र शुरू हो जाता है !
कहाँ रुके (Where to stay in Dhanaulti): धनोल्टी उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रुकने के लिए बहुत होटल है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 800 रुपए से लेकर 3000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! धनोल्टी में गढ़वाल मंडल का एक होटल भी है, और जॅंगल के बीच एपल ओरचिड नाम से एक रिज़ॉर्ट भी है !
कहाँ खाएँ (Eating option in Dhanaulti): धनोल्टी का बाज़ार ज़्यादा बड़ा नहीं है और यहाँ खाने-पीने की गिनती की दुकानें ही है ! वैसे तो खाने-पीने का अधिकतर सामान यहाँ मिल ही जाएगा लेकिन अगर कुछ स्पेशल खाने का मन है तो समय से अपने होटल वाले को बता दे !
क्या देखें (Places to see in Dhanaulti): धनोल्टी और इसके आस-पास घूमने की कई जगहें है जैसे ईको पार्क, सुरकंडा देवी मंदिर, और कद्दूखाल ! इसके अलावा आप ईको पार्क के पीछे दिखाई देती ऊँची पहाड़ी पर चढ़ाई भी कर सकते है !
समाप्त...
- देहरादून का टपकेश्वर महादेव मंदिर और रॉबर्स केव (गुच्चुपानी) (Robbers Cave and Tapkeshwar Mahadev Temple of Dehradun)
- उत्तराखंड का एक खूबसूरत शहर मसूरी (Mussoorie, A Beautiful City of Uttrakhand)
- मसूरी से चंबा होते हुए ऋषिकेश यात्रा (A Road Trip from Mussoorie to Rishikesh)
फटाफट यात्रा
ReplyDeleteजी संदीप भाई !
Deleteबढ़िया भाई मसूरी धनोल्टी सुबखाल की यात्रा
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतीक भाई !
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