शनिवार, 31 दिसम्बर 2011
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आज उदयपुर में हमारा आख़िरी दिन था, शाम 7 बजे हमें दिल्ली जाने के लिए ट्रेन पकड़नी थी ! सुबह जब सोकर उठे तो चाय के दौरान हमारी माउंट आबू की यात्रा पर चर्चा होने लगी, शशांक की मौसी ने पूछा माउंट आबू में सब जगहें घूम लिए, हमने हाँ में सिर हिलाया ! फिर जब उन्होनें पूछा कि दिलवाड़ा मंदिर कैसा लगा, तो मैं और शशांक एक दूसरे को देखने लगे ! हमने उम्मीद नहीं की थी कि माउंट आबू से वापसी के बाद इस तरह के प्रश्न भी पूछे जाएँगे ! खैर, दिलवाड़ा मंदिर तो हम घूम कर ही नहीं आए थे इसलिए कह दिया वो तो हमने देखा ही नहीं ! बड़े अचरज से शशांक की मौसी ने कहा, जो सबसे बढ़िया जगह थी वो तुमने देखी ही नहीं तो तुमने क्या खाक माउंट आबू देखा? फिर इस बात पर चर्चा होने लगी कि जिस मंदिर को देखने के लिए लोग देश-विदेश से आते है, माउंट आबू जाकर तुम वो ही जगह नहीं घूम कर आए ! दिलवाड़ा मंदिर नहीं देखना था तो फिर तुम गए क्या करने थे माउंट आबू ! हमने जो-2 जगहें देखी थी सब गिनवा दी, इस पर वो बोली, जो सबसे ज़रूरी चीज़ थी वो ही तुम छोड़ आए और बोल रहे हो माउंट आबू घूम कर आए है !
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पीछे दिखाई देती जयसमंद झील (A glimpse of Jaismand Lake, Udaipur)
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आप लोगों की जानकारी के लिया बता दूँ कि दिलवाड़ा मंदिर अपनी नक्काशी के लिए दुनिया भर में जाना जाता है ! खैर, इस चर्चा पर ज़्यादा समय ना नष्ट करते हुए हम दोनों नित्य-क्रम से फारिक होने का बहाना बना कर वहाँ से उठ गए ! हमने सोचा, कोई बात नहीं, अगली बार अगर कभी यहाँ आना हुआ तो दिलवाड़ा मंदिर भी देख लेंगे, फिर नहा-धोकर तैयार हुए और नाश्ता करने लगे ! ट्रेन तो हमारी शाम को थी, इसलिए आज भी हमारे पास पूरा दिन था, नाश्ता करने के बाद अपनी डायरी निकाल कर देखने पर पता चला कि हम लोगों को उदयपुर में जयसमंद झील घूमना बाकी रह गया है ! जयसमंद झील, जोकि उदयपुर के मुख्य शहर से लगभग 80 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में है ! ये झील काफ़ी बड़ी है और कहते है कि ये सबसे बड़ी कृत्रिम झीलों में से एक है ! हमने सोचा, आज इस झील को भी देख लेते है और शाम तक तो वापिस आ ही जाएँगे ! आज की इस यात्रा पर निकलने से पहले अपना सारा सामान अपने-2 बैग में रख लिया ताकि अगर शाम को जयसमंद झील से घूमकर वापस आते हुए देर भी हुई, तो सिर्फ़ सामान लेकर चलना ही रहेगा !
फिर एक छोटा बैग लेकर उदयपुर बस अड्डे पर पहुँच गए और जयसमंद जाने वाली बस में चढ़ गए, थोड़ी देर बाद हमारी बस चल दी ! उदयपुर में बस से यात्रा करने के दौरान मुझे तो सारे रास्ते एक जैसे ही लग रहे थे, दूर तक दिखाई देते खाली मैदान से अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल था कि हम किस मार्ग पर चल रहे है ! डेढ़ से दो घंटे का सफ़र तय करके हम दोनों एक बस स्टॉप पर उतरे, उतरते ही एक स्थानीय दुकानदार से गन्ने का रस निकलवा कर पिया, और फिर एक नारियल वाले से पानी वाले दो हरे नारियल लेकर झील तक जाने वाले रास्ते के बारे में पता किया ! उसके बताए अनुसार बस स्टैंड से आधा किलोमीटर वापस आने के बाद हम दोनों अपनी दाईं ओर जाने वाले एक कच्चे रास्ते पर चल दिए ! ये रास्ता थोड़ा उँचाई भरा था, इस मार्ग पर थोड़ी दूर चलने के बाद हमें अपनी बाईं ओर एक झील दिखाई दी ! दूर तक फैली झील और गहरे नीले रंग का दिखाई देता पानी, एक झलक देखने पर ये नज़ारा किसी का भी मन लुभाने के लिए काफ़ी था !
झील की पहली झलक ने हमारा मन भी मोह लिया ! मुख्य मार्ग पर खड़े होकर कोई अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता कि यहाँ इतनी पास में ही एक सुंदर झील भी है ! झील के मध्य में बड़े-2 टापू थे, वैसे टापू ना कह कर इसे पहाड़ कहना ही उचित रहेगा, ये झील इन पहाड़ों के पीछे कई किलोमीटर तक फैली हुई है ! यहाँ तक आने वाले मार्ग से ये झील काफ़ी नीचे है, और झील तक जाने के लिए पत्थर की सीढ़ियाँ बनी हुई है ! सीढ़ियों के साथ बने पत्थर के चबूतरों पर कुछ आकृतियाँ भी बनी हुई है, कहते है कि जब झील का जलस्तर बढ़ जाता है तो ये सीढ़ियाँ और आकृतियाँ भी पानी में डूब जाती है ! वैसे कहीं-2 तो इस झील की गहराई 100 फीट से भी अधिक है, ये जानकारी हमें नौकायान के दौरान नाव चालक ने दी ! उदयपुर के राजा जयसिंह ने इस झील का निर्माण सत्रहवी सदी में करवाया था, और ये एशिया की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील है !
काफ़ी देर तक तो हम दोनों यहीं इन सीढ़ियों पर बैठ कर झील को एकटक देखते रहे, उस दृश्य को आज भी याद करने पर ऐसा लगता है जैसे सब अभी कल की ही बात हो ! जिस समय हम वहाँ पहुँचे, झील में कई नावें पर्यटकों को लेकर सवारी करा रही थी ! झील में जगह-2 दूर दिखाई देती छोटी-2 नावें बहुत सुंदर लग रही थी, फिर जब थोड़ी देर बाद एक नौका झील के किनारे आकर रुकी तो उसमें सवार यात्री नाव से बाहर उतरने लगे ! नाव से उतरने के लिए सीढ़ियों के पास कुछ लोहे के खंबे लगे थे, जिससे एक रस्सी के सहारे नाव को बाँध दिया जा रहा था ताकि नाव पानी के बहाव से किनारे से दूर ना चली जाए ! यहाँ पेडल बोट नहीं थी, सारी नावें इंजन से चल रही थी, और हर नाव में 12-15 लोगों के बैठने की व्यवस्था थी ! हमने सवारी करने से पहले थोड़ी पूछ-ताछ कर ली कि एक बार में नाव हमें कितनी देर तक सैर कराएगी, और फिर नाव में सवार हो गए ! सवारियों से भरने के बाद हमारी नाव ने चलना शुरू कर दिया !
थोड़ी देर में ही हम किनारे से दूर झील के मध्य में स्थित पहाड़ी के पास पहुँच गए जहाँ उस पहाड़ी पर झील में से निकल कर कुछ मगरमच्छ धूप सेंकने में लगे थे ! झील में थोड़ा और आगे जाने पर हमने देखा कि जहाँ तक हमारी नज़र जा रही थी, पानी ही पानी दिखाई दे रहा था ! झील में हमें एक-दो पहाड़ और दिखाई दिए, नाव चालक ने बताया की झील तो कई किलोमीटर में फैली हुई है ! उसने हमें ये भी बताया कि उदयपुर शहर में ज़रूरत पड़ने पर पानी की आपूर्ति इस झील से ही की जाती है ! आधे घंटे तक झील में घुमाने के बाद हमारी नाव झील के उसी किनारे आ गई, जहाँ से हम इस नाव में चढ़े थे ! सभी सवारियाँ यहाँ उतर गई और कुछ नई सवारियाँ फिर से इसमें सवार हो गई ! नाव से उतरने के बाद हम दोनों वहीं सीढ़ियों पर बैठकर फोटो खींचने में लगे रहे ! फिर जब भूख लगी तो सीढ़ियों से होते हुए झील से बाहर आए और वहाँ खड़े फेरी वालों से खाने-पीने का कुछ सामान लेकर पेट पूजा की ! इस झील के किनारे कुछ दुकानें है, और झील के साथ-2 जाने वाले मार्ग पर आगे जाकर एक गाँव भी है !
झील के मध्य स्थित पहाड़ी पर जयसमंद आइलॅंड रिज़ॉर्ट नाम का एक होटल है, जिसमें रुकने के लिए आप इंटरनेट से आरक्षण करवा सकते है या फिर यहीं झील के किनारे स्थित दफ़्तर से भी इस होटल का आरक्षण करवा सकते है ! जब झील के किनारे बैठे-2 हमें काफ़ी देर हो गई तो हम दोनों बाहर की ओर चल दिए, और मुख्य मार्ग से हटकर एक सहायक मार्ग पर आ गए ! ये मार्ग झील के किनारे से होता हुआ उस पहाड़ी तक जा रहा था जो झील के किनारे स्थित थी, हम दोनों इस मार्ग पर बहुत ज़्यादा दूर तक तो नहीं गए, पर हमें अंदाज़ा हो गया कि ये मार्ग इस झील के किनारे से होता हुआ बहुत आगे तक जा रहा था ! हमने इस मार्ग पर जीप के अलावा कुछ अन्य निजी वाहनों को भी जाते हुए देखा, जब झील के किनारे काफ़ी समय बिता लिया तो हमने वापसी की सोची ! शाम को हमें दिल्ली जाने के लिए ट्रेन भी तो पकड़नी थी और उसके लिए समय पर उदयपुर पहुँचना बहुत ज़रूरी था !
उदयपुर जाने के लिए हम फिर से जैसमंद के उसी बस स्टॉप पर पहुँच गए, जहाँ सुबह आते समय उतरे थे ! 15-20 मिनट इंतजार करने के बाद उदयपुर जाने वाली एक बस आ गई जिसमें सवार होकर हम दोनों उदयपुर के लिए निकल पड़े ! इस बस में पहले से ही काफ़ी भीड़ थी, इसलिए बैठने की व्यवस्था नहीं हो पाई, लेकिन आधा सफ़र ख़त्म होने के बाद हम दोनों को सीटें मिल गई ! उदयपुर में प्रवेश करने से पहले काफ़ी जाम मिला, एक बार तो लगने लगा कि हमारी ट्रेन ना छूट जाए ! जैसे-तैसे इस जाम से जब हमारी बस निकली तो हम बस स्टैंड से थोड़ा पहले एक चौराहे पर ही उतर गए, हमें लगा बस स्टैंड में अंदर जाकर फिर से बाहर आने पर काफ़ी समय नष्ट हो जाएगा ! यहाँ से हमने घर जाने के लिए एक ऑटो कर लिया, यहाँ से घर जाने वाले मार्ग पर भी हमें काफ़ी जाम मिला, समझ नहीं आ रहा था कि आज आख़िर ये जाम क्यों था ! खैर, घर पहुँच कर फटाफट से अपना सामान उठाया और सभी लोगों से विदा लेकर स्टेशन की ओर चल दिए !
जब स्टेशन पहुँचे तो हमारी ट्रेन मेवाड़ एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म पर आ चुकी थी, जल्दी से हम दोनों इसमें सवार हो गए ! वैसे ट्रेन के चलने में अभी 10-15 मिनट का समय बाकी था, पर अगर थोड़ी देर और हो जाती तो शायद ये ट्रेन हमें ना मिल पाती ! हमें स्टेशन तक छोड़ने के लिए घर के कुछ सदस्य यहाँ आए थे, उन लोगों को स्टेशन तक आने के सभी रास्तों के बारे में पता था, इसलिए वो हमें कम भीड़-भाड़ वाले रास्ते से लाए थे ! थोड़ी देर में ही हमारी ट्रेन चल दी, और धीरे-2 इसने रफ़्तार पकड़ना शुरू कर दिया, हमने हाथ हिलाकर सबका धन्यवाद किया, अब तक ट्रेन स्टेशन छोड़ चुकी थी ! हमारा उदयपुर का सफ़र काफ़ी मजेदार रहा, यहाँ हमने कई झीलें देखी, दिलवाड़ा मंदिर ना देख पाने का मलाल ज़रूर रहा ! रात्रि का भोजन करने के बाद हमने थोड़ी देर बातचीत की और फिर अपनी-2 सीटों पर सोने चले गए ! रात को बारह बजे के आस-पास जब हमारी ट्रेन कोटा जंक्शन पहुँची तो ट्रेन के अंदर और बाहर सभी लोग नव वर्ष मनाने में लगे थे !
हम दोनों ट्रेन से नीचे उतरकर थोड़ी देर तक प्लेटफॉर्म पर घूमे और पब ट्रेन चलने लगी तो फिर से इसमें सवार हो गए ! अगले दिन सुबह पौने छह बजे हम दोनों बल्लभगढ़ उतर गए, जहाँ से पलवल जाने वाली सवारी गाड़ी में सवार होकर सुबह 8 बजे तक अपने घर पहुँच गए ! इसके साथ ही उदयपुर का ये सफ़र यहीं ख़त्म होता है, एक नए सफ़र के साथ जल्द ही फिर से मुलाकात होगी !
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झील तक जाने की सीढ़ियाँ (Jaismand Lake in Udaipur) |
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झील के किनारे बना एक चबूतरा |
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Stairs near Jaismand Lake, Udaipur |
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पीछे दिखाई देता होटल, जहाँ झील के अंदर बने होटल का आरक्षण होता है |
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नौकायान के दौरान शशांक (Boating in Jaismand Lake, Udaipur) |
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A view of Jaismand Lake, Udaipur |
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झील के किनारे बनी आकृतियाँ |
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झील के किनारे बने मार्ग पर शशांक |
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झील के किनारे से जाता मार्ग |
क्यों जाएँ (Why to go Udaipur): अगर आपको किले और महल देखना पसंद है और आप राजस्थान में नौकायान का आनंद लेना चाहते है तो उदयपुर आपके लिए एक अच्छा विकल्प है ! यहाँ उदयपुर के आस-पास देखने के लिए कई झीले है !
कब जाएँ (Best time to go Udaipur): वैसे तो आप साल के किसी भी महीने में घूमने के लिए उदयपुर जा सकते है लेकिन सितंबर से मार्च यहाँ घूमने जाने के लिए बढ़िया मौसम है इस समय यहाँ बढ़िया मौसम रहता है ! गर्मियों में तो यहाँ बुरा हाल रहता है और झील में नौकायान का आनंद भी ठीक से नहीं ले सकते !
कैसे जाएँ (How to reach Udaipur): दिल्ली से उदयपुर की दूरी लगभग 663 किलोमीटर है ! यहाँ जाने का सबसे बढ़िया साधन रेल मार्ग है दिल्ली से उदयपुर के लिए नियमित रूप से कई ट्रेने चलती है, जो शाम को दिल्ली से चलकर सुबह जल्दी ही उदयपुर पहुँचा देती है ! ट्रेन से दिल्ली से उदयपुर जाने में 12 घंटे का समय लगता है जबकि अगर आप सड़क मार्ग से जाना चाहे तो दिल्ली से उदयपुर के लिए बसें भी चलती है जो 14 से 15 घंटे का समय लेती है ! अगर आप निजी वाहन से उदयपुर जाने की योजना बना रहे है तो दिल्ली जयपुर राजमार्ग से अजमेर होते हुए उदयपुर जा सकते है निजी वाहन से आपको 11-12 घंटे का समय लगेगा ! हवाई यात्रा का मज़ा लेना चाहे तो आप सवा घंटे में ही उदयपुर पहुँच जाओगे !
कहाँ रुके (Where to stay in Udaipur): उदयपुर राजस्थान का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रोजाना हज़ारों देशी-विदेशी सैलानी घूमने के लिए आते है ! सैलानियों के रुकने के लिए यहाँ होटलों की भी कोई कमी नहीं है आपको 500 रुपए से लेकर 8000 रुपए तक के होटल मिल जाएँगे !
क्या देखें (Places to see in Udaipur): उदयपुर और इसके आस-पास देखने के लिए वैसे तो बहुत जगहें है लेकिन यहाँ के मुख्य आकर्षण सिटी पैलेस, लेक पैलेस, सहेलियों की बाड़ी, पिछोला झील, फ़तेह सागर झील, रोपवे, एकलिंगजी मंदिर, जगदीश मंदिर, जैसमंद झील, हल्दीघाटी, कुम्भलगढ़ किला, कुम्भलगढ़ वन्यजीव उद्यान, चित्तौडगढ़ किला और सज्जनगढ़ वन्य जीव उद्यान है ! इसके अलावा माउंट आबू यहाँ से 160 किलोमीटर दूर है वहाँ भी घूमने के लिए कई जगहें है !
समाप्त...
उदयपुर - माउंट आबू यात्रा
- दिल्ली से उदयपुर की रेल यात्रा (A Train Trip to Udaipur)
- पिछोला झील में नाव की सवारी (Boating in Lake Pichhola)
- उदयपुर की शान - सिटी पैलैस (City Palace of Udaipur)
- उदयपुर से माउंट आबू की बस यात्रा (Road Trip to Mount Abu)
- वन्य जीव उद्यान में रोमांच से भरा एक दिन (A Day Full of Thrill in Wildlife Sanctuary)
- झीलों के शहर उदयपुर में आख़िरी शाम (One Day in Beautiful Jaismand Lake)
झील का विस्तार देखकर मुझे टीतो यह चम्बल नदी जैसा लग रहा है।तो यू खत्म हुआ तुम्हारा आबू सफ़र
ReplyDeleteसुनकर अच्छा लगा कि लेख और चित्रों के माध्यम से आपको चंबल नदी की याद आ गई ! इस तरह हमारी इस सुखद यात्रा का समापन हुआ !
Deleteबड़ा ही सुन्दर यात्रा वृतांत और एक बढ़िया झील के बारे में जानकारी के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteउत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद हर्षिता जी...
Deleteबहुत अच्छा वर्णन किया है आपने उदयपुर यात्रा का....आपकी लिखने की शैली अच्छी लगी...
ReplyDeleteमैं भी अपनी यात्राओं पर ब्लॉग लिखता हूँ। समय निकालकर कभी पढ़ना और अपनी राय जरूर लिखियेगा। >> www.mainmusafir.com ( मैं मुसाफिर डॉट कॉम )
धन्यवाद गौरव भाई, बहुत अच्छे, जानकर अच्छा लगा कि आप भी यात्रा लेख लिखते है !
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