सोमवार, 25 दिसंबर 2017
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यात्रा के पिछले लेख में आपने जैसलमेर की गदीसर झील का भ्रमण किया, अब आगे, हम झील में नौकायान करके निकले तो शाम के पांच बजने वाले थे, भूरा राम के साथ गाडी में सवार होकर हम कुछ ही देर में हम यहाँ की भीड़-भाड़ से निकलकर एक खुले मार्ग पर पहुँच गए ! रास्ते में सड़क के किनारे पड़ने वाले होटलों में चहल-पहल शुरू हो चुकी थी, शाम के समय तो इन पांच-सितारा होटलों की रौनक देखते ही बनती है ! वास्तव में राजस्थान के पांच सितारा होटलों का कोई मुकाबला नहीं है, लम्बे-चौड़े क्षेत्र में फैले यहाँ के होटल किसी किले की तरह दिखाई देते है ! अँधेरा होते-2 इन होटलों में मद्दम रोशनी जगमगाने लगती है और यहाँ बजने वाला मधुर संगीत माहौल को रोमांटिक बना देता है, यहाँ सड़क के दोनों तरफ एक कतार में कई होटल है ! जिस मार्ग पर हम चल रहे थे ये मार्ग सम की ओर जाता है और शाम के समय इस मार्ग पर सम जाने वाले लोगों की भीड़ बढ़ जाती है, आज भी गाड़ियाँ हमारी गाडी के बगल तेजी से तेजी से सम के लिए निकल जा रही थी ! गनीमत थी कि हमें इस मार्ग पर ज्यादा दूर नहीं जाना था, थोडा आगे बढ़ने पर हम एक तिराहे पर पहुँच गए, यहाँ से सीधा जाने वाला मार्ग सम को निकल जाता है जबकि दाईं ओर जाने वाला मार्ग बड़ा बाग होते हुए लोंगेवाला को चला जाता है !
बड़ा बाग में बने छतरियां और स्मारक |
हम लोंगेवाला जाने वाले मार्ग पर मुड गए, इस मार्ग पर कुछ दूर चलने के बाद एक मार्ग दाईं ओर अन्दर की ओर जाता है इसी मार्ग पर 1 किलोमीटर की दूरी पर बड़ा बाग है ! निजी गाडी से जाने पर आपको गाडी का प्रवेश शुल्क (शायद 100 रूपए) भी देना होता है, हालांकि, भूरा राम को स्थानीय होने का फायदा मिला और उसे ये शुल्क अदा नहीं करना पड़ा ! सड़क के दाईं ओर बनी पार्किंग में गाडी खड़ी करके हम आगे बढे, इस पार्किंग के सामने सड़क के उस पार घने पेड़ों का एक बगीचा था ! जबकि, इस मार्ग पर थोडा आगे बढ़ने पर सामने एक कतार में कई छतरियां बनी हुई है, मार्ग थोडा चढ़ाई भरा है, पीले पत्थर से बनी ये छतरियां सूरज की रोशनी पड़ने पर सुनहरे रंग में जगमगा उठती है ! जैसलमेर से सम जाते हुए सड़क किनारे दोनों ओर खुले मैदान में थोड़ी-2 दूरी पर पवन चक्कियां लगी हुई है, जिनसे बिजली बनाई जाती है ! दूर तक रेगिस्तान होने के कारण हवा के झोंके बड़ी तेजी से इन पवनचक्कियों पर पड़ते है और ये तेजी से चलते है, ऊंचे-2 खम्बो पर लगे ये पंखे देखने में बड़े सुन्दर लगते है ! राजस्थान के रेगिस्तान में आपको पवनचक्कियों की भरमार देखने को मिलेगी, वैसे बिजली बनाने का ये एक बढ़िया तरीका है !
बड़ा बाग जाते हुए रास्ते में सड़क किनारे लगी पवन चक्कियां |
बड़ा बाग जाते हुए रास्ते में सड़क किनारे लगी पवन चक्कियां |
बड़ा बाग में बनी छतरियों और स्मारकों का एक दृश्य |
बड़ा बाग के पास लगी पवन चक्कियां |
बड़ा बाग में बनी एक छतरी |
बड़ा बाग में एक क्षतिग्रस्त छतरी |
बड़ा बाग में बनी छतरियों का एक दृश्य |
पार्किंग से आगे बढ़ने पर दिखाई देता बड़ा बाग |
पहाड़ी से दिखाई देता बड़ा बाग |
पता नहीं मैं किस बात से परेशान था |
बड़ा बाग से दिखाई देती पवन चक्कियां |
पहाड़ी से दिखाई देता बड़ा बाग |
बड़ा बाग में बैठने के लिए बनी पत्थर की एक सीट |
बड़ा बाग परिसर का एक दृश्य |
बड़ा बाग में बनी कुछ छतरियां |
थोड़ी दूरी पर हरियाली भी दिखाई दे रही थी |
बड़ा बाग परिसर से दिखाई देती पवन चक्कियां |
बड़ा बाग में बनी छतरियों का एक दृश्य |
बड़ा बाग परिसर का एक दृश्य |
पहाड़ी से दिखाई देता एक दृश्य |
एक स्मारक की छत पर बनी चित्रकारी |
बड़ा बाग में बनी इष्ट देवता की एक मूर्ति |
देवेन्द्र |
बड़ा बाग़ में भाई खूब पोज़ दे रहा था |
पहाड़ी से दिखाई देता बड़ा बाग |
दूसरे एंगल से लिया बड़ा बाग का एक दृश्य |
पार्किंग के पास से बड़ा बाग का एक दृश्य |
आज यहाँ ज्यादा लोग नहीं आए थे |
सूर्य की रोशनी में दिखाई देता सुनहरा बड़ा बाग |
बड़ा बाग में बनी छतरियां |
बड़ा बाग में बनी छतरियां |
लोद्रवा की ओर जाने वाल मार्ग |
कब जाएँ (Best time to go Jaisalmer): जैसलमेर जाने के लिए नवम्बर से फरवरी का महीना सबसे उत्तम है इस समय उत्तर भारत में तो कड़ाके की ठण्ड और बर्फ़बारी हो रही होती है लेकिन राजस्थान का मौसम बढ़िया रहता है ! इसलिए अधिकतर सैलानी राजस्थान का ही रुख करते है, गर्मी के मौसम में तो यहाँ बुरा हाल रहता है !
कैसे जाएँ (How to reach Jaisalmer): जैसलमेर देश के अलग-2 शहरों से रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा है, देश की राजधानी दिल्ली से इसकी दूरी लगभग 980 किलोमीटर है जिसे आप ट्रेन से आसानी से तय कर सकते है ! दिल्ली से जैसलमेर के लिए कई ट्रेनें चलती है और इस दूरी को तय करने में लगभग 18 घंटे का समय लगता है ! अगर आप सड़क मार्ग से आना चाहे तो ये दूरी घटकर 815 किलोमीटर रह जाती है, सड़क मार्ग से भी देश के अलग-2 शहरों से बसें चलती है, आप निजी गाडी से भी जैसलमेर जा सकते है !
कहाँ रुके (Where to stay near Jaisalmer): जैसलमेर में रुकने के लिए कई विकल्प है, यहाँ 1000 रूपए से शुरू होकर 10000 रूपए तक के होटल आपको मिल जायेंगे ! आप अपनी सुविधा अनुसार होटल चुन सकते है ! खाने-पीने की सुविधा भी हर होटल में मिल जाती है, आप अपने स्वादानुसार भोजन ले सकते है !
क्या देखें (Places to see near Jaisalmer): जैसलमेर में देखने के लिए बहुत जगहें है जिसमें जैसलमेर का प्रसिद्द सोनार किला, पटवों की हवेली, सलीम सिंह की हवेली, नाथमल की हवेली, बड़ा बाग, गदीसर झील, जैन मंदिर, कुलधरा गाँव, सम, और साबा फोर्ट प्रमुख है ! इनमें से अधिकतर जगहें मुख्य शहर में ही है केवल कुलधरा, खाभा फोर्ट, और सम शहर से थोडा दूरी पर है ! जैसलमेर का सदर बाज़ार यहाँ के मुख्य बाजारों में से एक है, जहाँ से आप अपने साथ ले जाने के लिए राजस्थानी परिधान, और सजावट का सामान खरीद सकते है !
अगले भाग में जारी...
जैसलमेर यात्रा
- जोधपुर से जैसलमेर की ट्रेन यात्रा (A Journey from Jodhpur to Jaisalmer)
- जैसलमेर के सोनार किले की सैर (A Visit to Jaisalmer Fort)
- जैसलमेर की शानदार हवेलियाँ (Beautiful Haveli’s of Jaisalmer)
- जैसलमेर की गदीसर झील (Gadisar Lake of Jaisalmer)
- जैसलमेर का बड़ा बाग (Bada Bagh of Jaisalmer)
- लोद्रवा के जैन मंदिर (Jain Temples of Lodruva)
- लोद्रवा का चुंधी-गणेश मंदिर (Chundhi Ganesh Temple of Lodruva)
- कुलधरा – एक शापित गाँव (Kuldhara – A Haunted Village)
- खाभा फोर्ट – पालीवालों की नगरी (Khabha Fort of Jaisalmer)
- खाभा रिसोर्ट और सम में रेत के टीले (Khabha Resort and Sam Sand Dunes)
- जैसलमेर के पांच सितारा होटल (Five Star Hotels in Jaisalmer)
- जैसलमेर दुर्ग के मंदिर और अन्य दर्शनीय स्थल (Local Sight Seen in Jaisalmer)