जैसलमेर यात्रा के पिछले लेख में आप कुलधरा गाँव के बारे में पढ़ चुके है अब आगे, कुलधरा से चले तो ढाई बज रहे थे, कुछ ही देर में हम कुलधरा गाँव से निकलकर मुख्य मार्ग पर पहुँच गए ! ये मार्ग खाभा फोर्ट होता हुआ आगे जाकर जैसलमेर से सम जाने वाले मार्ग में मिल जाता है ! दिसंबर का महीना होने के बावजूद जब यहाँ तीखी धूप लग रही थी, तो सोचिये गर्मियों में तो क्या ही हाल होता होगा ! इधर भी सड़क के किनारे कंटीली झाड़ियों की भरमार थी, दूर तक फैले रेगिस्तान में कहीं-2 इक्का-दुक्का कीकर के पेड़ भी दिखाई दे रहे थे ! तपती दोपहरी में इस मार्ग पर गिनती के वाहन ही चल रहे थे, वैसे भी अधिकतर लोग कुलधरा देखकर सम जाने के लिए वापिस लौट जाते है ! गिनती के कुछ लोग ही ये किला देखने आगे जाते है, हम खाभा फोर्ट देखना चाहते थे, वैसे भी कुलधरा गाँव से खाभा फोर्ट की दूरी महज 17 किलोमीटर है तो हमें आने-जाने में कुल 34-35 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही थी लेकिन बदले में ये फोर्ट भी तो देखने को मिल रहा था ! कुछ दूर चलने के बाद एक चौराहा आया, हम बिना मुड़े सीधे चलते रहे और थोड़ी देर बाद डेढा गाँव पहुंचे, यहाँ एक पुलिस नाका भी था, वो अलग बाद है कि नाके पर कोई मौजूद नहीं था !
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खाभा फोर्ट का एक दृश्य |
यहाँ से खाभा फोर्ट ज्यादा दूर नहीं रह जाता, कुछ दूर चलने के बाद एक पहाड़ी पर स्थित खाभा फोर्ट दिखाई देने लगता है, कुलधरा गाँव से इस किले की दूरी लगभग 17 किलोमीटर है ! कुछ ही देर में हम एक घुमावदार मार्ग से होते हुए खाभा फोर्ट के सामने जाकर रुके, किले के सामने मोटरसाइकिल खड़ी करके हम प्रवेश द्वार की ओर चल दिए ! इस किले में प्रवेश करने के लिए 10 रूपए प्रति व्यक्ति का एक मामूली शुल्क लगता है, वैसे तो ये किला ज्यादा बड़ा नहीं है, लेकिन इतने बड़े रेगिस्तान के बीच स्थित ये इमारत ही यहाँ आकर्षण का मुख्य केंद्र है ! फिल्हाल यहाँ मरम्मत का काम चल रहा था इसलिए किले परिसर में जगह-2 निर्माण सामग्री बिखरी पड़ी थी ! सीढ़ियों से होते हुए हम किले के ऊपरी भाग में पहुँच गए, यहाँ से चारों तरफ दूर तक फैला रेगिस्तान दिखाई देता है, लेकिन बीच-2 में कुछ जगहें हरियाली थी ! यहाँ से देखने पर रेगिस्तान के बीच एक तरफ तो ऊंचे-2 पठार दिखाई दे रहे थे तो दूसरी तरफ एक कतार में लगी पवन चक्कियां दिखाई देती है, लेकिन इन सबके बीच चारों तरफ एकदम सन्नाटा फैला हुआ था !
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कुलधरा से निकलते हुए बाइक की एक फोटो |
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कुलधरा से खाभा फोर्ट जाने का मार्ग |
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कुलधरा से खाभा फोर्ट जाने का मार्ग |
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खाभा फोर्ट जाते हुए सड़क किनारे का एक दृश्य |
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खाभा फोर्ट जाते हुए रास्ते में एक चौराहा |
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चौराहे पर लिया एक दृश्य |
किले से कुछ ही दूरी पर ढह चुके मकानों के अवशेष ये बताने के लिए काफी थे कि यहाँ भी कभी खुशहाली थी, इस गाँव में भी लोग रहते थे लेकिन समय का ऐसा चक्र घूमा कि सब बंजर बन गया ! अपने ख्यालों में खोया हुआ मैं उस दौर की कल्पना करता उससे पहले ही तेज हवाओं के झोंके मेरी कल्पना को भी उड़ा ले गए ! एक बार फिर से मैंने अपनी निगाहें चारों ओर दौड़ाई, लेकिन आस-पास इंसान तो क्या कोई जानवर तक मौजूद नहीं था ! मेरे अनुमान से रात को तो यहाँ डरावना माहौल रहता होगा, शायद ही कोई यहाँ इस किले में रुकता हो ! हालांकि, यहाँ आते समय रास्ते में डेढा गाँव के पास हमें कुछ लोग दिखाई दिए थे, लेकिन किले के पास तो एकदम सन्नाटा था ! किले के अन्दर पक्का बरामदा बना है जो ज्यादा बड़ा तो नहीं है लेकिन इसी बरामदे के बीचों-बीच एक चबूतरा भी है ! राजस्थान के रेगिस्तान वाले क्षेत्रों में आज भी जगह-2 ऐसे पत्थर, शंख, सीपी और अन्य साक्ष्य मिलते है जो यहाँ इस रेगिस्तान में कभी नदी के होने की बात को प्रमाणित करते है ! इन्हीं अवशेषों से सम्बंधित जानकारी को चित्रों के माध्यम से यहाँ एक कक्ष में प्रदर्शित किया गया है जिसमें रण, पहाड़, मैदान, और गोलाश्म के बनने की प्रक्रिया को बताया गया है !
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खाभा फोर्ट से दिखाई देता एक दृश्य |
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खाभा फोर्ट से दिखाई देता एक दृश्य |
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खाभा फोर्ट के बाहर का एक दृश्य |
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खाभा फोर्ट से दिखाई देता एक दृश्य |
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खाभा फोर्ट का प्रवेश द्वार |
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रण बनने की जानकारी देता एक चित्र |
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पहाड़ बनने की जानकारी देता एक चित्र |
अलग-2 क्षेत्रों में पाए गए पत्थरों और अन्य वस्तुओं को लाकर यहाँ प्रदर्शन के लिए रखा गया है, कुल मिलाकर आपको यहाँ भूगोल से सम्बंधित काफी उपयोगी जानकारी मिलेगी ! वैसे, इस किले को देखकर ऐसा लगता है जैसे इसे जल्दी ही बनाया गया है, सुनहरे रंग के नए पत्थर लगाए गए है, शायद ढह चुके किले के अवशेषों को समेटकर इसे फिर से नया रूप दिया गया है ! प्रदर्शनी देखने के बाद हम किले की छत से होते हुए इसके दूसरे भाग में पहुँच गए, जहाँ कुछ मूर्तियों को प्रदर्शनी के लिए रखा गया था ! प्राचीन काल में प्रयोग में लाई जाने वाली रोजमर्रा की कई वस्तुएं भी इस कमरे में रखी गई थी जिसमें कलश, सिंगारदान, शीशा, मिटटी के बर्तन और कुछ अन्य वस्तुएं शामिल थी ! एक चित्र में खाभा गाँव से सम्बंधित जानकारी को भी प्रदर्शित किया गया है जिसके मुताबिक जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर पश्चिम में स्थित खाभा गाँव पालीवालों की व्यापारिक व्यवस्था का उत्कृष्ट नमूना है ! खाभा पालीवालों के बुजकंठा प्रांत का एक गाँव था, बुजकंठा गाँव का नाम बुज नाम की एक झील के कारण पड़ा ! जैसलमेर के इतिहास में खाभा का दूसरा नाम भावनगर भी है, ये गाँव पालीवालों के आने से पहले यहाँ बस चुका था !
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खाभा फोर्ट के अन्दर का एक दृश्य |
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खाभा फोर्ट के अन्दर का एक दृश्य |
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खाभा फोर्ट के अन्दर का एक दृश्य |
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खाभा फोर्ट के अन्दर का एक दृश्य |
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खाभा फोर्ट के अन्दर जानकारी दर्शाता एक चित्र |
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खाभा फोर्ट के अन्दर जानकारी दर्शाता एक चित्र |
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खाभा फोर्ट के अन्दर से दिखाई देता एक दृश्य |
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खाभा फोर्ट के अन्दर जानकारी दर्शाता एक चित्र |
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खाभा फोर्ट के अन्दर जानकारी दर्शाता एक चित्र |
पालीवालों से पूर्व यहाँ के जागीरदार पाल और गोयल राजपूत थे उन्होंने अपनी कन्या पालीवालों को ब्याहने के बाद खाभा गाँव उन्हें दहेज़ में दे दिया था ! पालीवालों ने भी दहेज़ में मिले इस गाँव को एक नगरीय संरचना के रूप में विकसित किया, खाभा, जैसलमेर रियासत का एक बड़ा परगना और प्रमुख नगर था यहाँ लगभग 5000 घर स्थापित थे ! अपने अन्य निवास स्थानों के समान ही पालीवालों ने इस नगर का निर्माण भी कुशलता के साथ पंक्तिबद्ध तरीके से किया था ! अपने समय में ये गाँव सिंध और जैसलमेर के बीच एक व्यापारिक केंद्र था यहाँ रहने वाले अधिकतर पालीवालों का प्रमुख व्यवसाय व्यापार था ! वर्तमान में यहाँ उजाड़ पड़े भवनों में से कुछ भवन इस तरह के है जो कभी बड़ी व्यापारिक मंडी का रूप दर्शाते है ! इस गाँव में पालीवालों ने 6 तालाब, 35 छतरियां, 80 चबूतरे, 1 भव्य मंदिर, 5 यज्ञ चौकियां, और 125 देवलियां बनवाई थी ! कहते है ये गाँव भी कुलधरा के साथ ही खाली हुआ था, जब दीवान के कोप से बचने के लिए रातों-रात गाँव के लोग अपने घर छोड़कर यहाँ से चले गए थे, तब से आज तक इन गाँवों में कोई नहीं बसा ! आज जहाँ इस नगर के भग्नावशेष विद्द्य्मान है वे सिन्धु से सरस्वती तक के व्यापारिक संगम स्थल को प्रदर्शित करते है !
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खाभा फोर्ट के अन्दर का एक दृश्य |
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खाभा फोर्ट से दिखाई देता उजड़ चुके गाँव का एक दृश्य |
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खाभा फोर्ट से दिखाई देता एक दृश्य |
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खाभा फोर्ट के अन्दर का एक दृश्य |
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खाभा फोर्ट के अन्दर रखे पत्थर |
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खाभा फोर्ट से दिखाई देता आस-पास का दृश्य |
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खाभा फोर्ट के अन्दर का एक दृश्य |
खाभा की आभा सदियों से यहाँ चमकती रही है और आगे भी कई युगों तक ये यूं ही आलोकित करती रहेगी ! इस किले ने मुझे इतना प्रभावित किया कि यहाँ की यादें मुझे लम्बे समय तक याद रहेगी, आज 5 महीने बाद भी उस दिन की बातें मेरे मन में ज्यों की त्यों है ! घंटे भर का समय किले में बिताने के बाद हमने वापसी की राह पकड़ी, यहाँ आते समय हमें नहीं मालूम था कि यहाँ से एक मार्ग सम के लिए भी जाता है लेकिन यहाँ से निकलते हुए किले में मौजूद एक व्यक्ति ने हमें इस बाबत जानकारी दी ! उसके मुताबिक ये मार्ग आगे जाकर जैसलमेर से सम जाने वाले मार्ग में मिल जाता है ! हालांकि, जैसलमेर से सम जाने वाले मार्ग के मुकाबले खाभा फोर्ट वाले मार्ग की चौड़ाई काफी कम है लेकिन यहाँ ज्यादा यातायात ना होने के कारण गाडी आराम से 80-90 की रफ़्तार पकड़ लेती है ! किला घूमते हुए हमारे पास पानी भी ख़त्म हो गया था, तो उसी व्यक्ति ने हमें बताया कि यहाँ से कुछ दूरी पर खाभा रिसोर्ट है जहाँ आपको पीने का पानी मिल जायेगा ! उसी रिसोर्ट के सामने से एक रास्ता सम के लिए चला जाता है, ये सुनकर हमने किले के बाहर खड़ी अपनी बाइक उठाई और खाभा रिसोर्ट की ओर चल पड़े जो यहाँ से बमुश्किल 1 किलोमीटर दूर था ! खाभा रिसोर्ट, और सम से सम्बंधित जानकारी मैं इस यात्रा के अगले लेख में दूंगा !
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खाभा फोर्ट के अन्दर का एक दृश्य |
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खाभा फोर्ट से दिखाई देता एक दृश्य |
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खाभा फोर्ट के अन्दर का एक दृश्य |
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प्रदर्शनी के लिए रखी गई मूर्तियाँ |
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खाभा फोर्ट के अन्दर का एक दृश्य |
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प्रदर्शनी के लिए रखा गया सामान |
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प्रदर्शनी के लिए रखा गया सामान |
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किले के बाहर का एक दृश्य |
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फोर्ट के बाहर से दिखाई देता एक दृश्य |
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मुख्य मार्ग से दिखाई देता फोर्ट का प्रवेश द्वार |
क्यों जाएँ (Why to go Jaisalmer): अगर आपको ऐतिहासिक इमारतें और किले देखना अच्छा लगता है, भारत में रहकर रेगिस्तान घूमना चाहते है तो निश्चित तौर पर राजस्थान में जैसलमेर का रुख कर सकते है !
कब जाएँ (Best time to go Jaisalmer): जैसलमेर जाने के लिए नवम्बर से फरवरी का महीना सबसे उत्तम है इस समय उत्तर भारत में तो कड़ाके की ठण्ड और बर्फ़बारी हो रही होती है लेकिन राजस्थान का मौसम बढ़िया रहता है ! इसलिए अधिकतर सैलानी राजस्थान का ही रुख करते है, गर्मी के मौसम में तो यहाँ बुरा हाल रहता है !
कैसे जाएँ (How to reach Jaisalmer): जैसलमेर देश के अलग-2 शहरों से रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा है, देश की राजधानी दिल्ली से इसकी दूरी लगभग 980 किलोमीटर है जिसे आप ट्रेन से आसानी से तय कर सकते है ! दिल्ली से जैसलमेर के लिए कई ट्रेनें चलती है और इस दूरी को तय करने में लगभग 18 घंटे का समय लगता है ! अगर आप सड़क मार्ग से आना चाहे तो ये दूरी घटकर 815 किलोमीटर रह जाती है, सड़क मार्ग से भी देश के अलग-2 शहरों से बसें चलती है, आप निजी गाडी से भी जैसलमेर जा सकते है !
कहाँ रुके (Where to stay near Jaisalmer): जैसलमेर में रुकने के लिए कई विकल्प है, यहाँ 1000 रूपए से शुरू होकर 10000 रूपए तक के होटल आपको मिल जायेंगे ! आप अपनी सुविधा अनुसार होटल चुन सकते है ! खाने-पीने की सुविधा भी हर होटल में मिल जाती है, आप अपने स्वादानुसार भोजन ले सकते है !
क्या देखें (Places to see near Jaisalmer): जैसलमेर में देखने के लिए बहुत जगहें है जिसमें जैसलमेर का प्रसिद्द सोनार किला, पटवों की हवेली, सलीम सिंह की हवेली, नाथमल की हवेली, बड़ा बाग, गदीसर झील, जैन मंदिर, कुलधरा गाँव, सम, और khaabha साबा फोर्ट प्रमुख है ! इनमें से अधिकतर जगहें मुख्य शहर में ही है केवल कुलधरा, खाभा फोर्ट, और सम शहर से थोडा दूरी पर है ! जैसलमेर का सदर बाज़ार यहाँ के मुख्य बाजारों में से एक है, जहाँ से आप अपने साथ ले जाने के लिए राजस्थानी परिधान, और सजावट का सामान खरीद सकते है !
वाह यह तो बिल्कुल एक नई जगह की जानकारी दे दी....यह गाव भी कुलधारा जैसे खाली हुआ था..ग़ज़ब जानकारी और बढ़िया पोस्ट...
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतीक भाई, वाकई, शानदार जगह है खाभा फोर्ट !
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