खुर्पाताल होते हुए नैनीताल – (Kaladungi to Nainital via Khurpatal)

वीरवार, 01 मार्च 2018

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यात्रा के पिछले लेख में आप कालाढूंगी के घने जंगल में स्थित कॉर्बेट वाटर फाल के बारे में पढ़ चुके है, अब आगे, वाटर फाल देखने के बाद हम नैनीताल जाने के लिए निकल पड़े ! थोडा आगे बढ़ने पर वापिस उस चेक पोस्ट वाले तिराहे पर पहुंचे, जहाँ से दाएं मुड़ने पर बाजपुर आता है जबकि नैनीताल जाने के लिए बाएं मुड़ना था, हम नैनीताल वाले मार्ग पर मुड गए ! थोड़ी दूर जाने पर ये मार्ग घूमकर दाईं ओर चला जाता है जहाँ कुछ दूरी पर फिर से एक तिराहा है, इस तिराहे से एक मार्ग तो कालाढूंगी होते हुए हल्द्वानी को चला जाता है जबकि दूसरा मार्ग खुर्पाताल होते हुए नैनीताल को जाता है ! इस तिराहे के पास ही सड़क किनारे मशहूर शिकारी जिम कॉर्बेट का म्यूजियम बना है, मुझे यकीन है कि जिम कॉर्बेट के बारे में तो आप जानते ही होंगे, फिर भी विस्तृत जानकारी के लिए आप यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते है ! गाडी सड़क के किनारे खड़ी करके हम म्यूजियम के प्रवेश द्वार पर पहुंचे तो पता चला कि होली के अवसर पर ये म्यूजियम भी 2 दिन के लिए बंद है ! अब यहाँ रूककर समय व्यर्थ करने में कोई समझदारी नहीं थी इसलिए बिना देर किए हम नैनीताल की ओर जाने वाले मार्ग पर चल दिए !
नैनीताल जाते हुए रास्ते में मनसा देवी का मंदिर

जिस मार्ग से हम आए थे वो अब तक तो समतल था लेकिन कॉर्बेट म्यूजियम से नैनीताल के लिए मुड़ते ही चढ़ाई भरा मार्ग शुरू हो गया ! घुमावदार रास्तों से होते हुए हम नैनीताल की ओर बढ़ने लगे, शुरुआत में ही इस मार्ग पर अच्छी चढ़ाई है, लेकिन आगे जाने पर ज्यादा तीखी चढ़ाई नहीं है ! फिर थोड़ी देर बाद तो सड़क के दोनों ओर सुन्दर नज़ारे दिखाई देने लगते है, ऊंचे-2 पेड़ और पहाड़ इस मार्ग की सुन्दरता को और बढ़ा देते है ! इस बीच हमें सड़क किनारे पेड़ों के बीच में एक झील दिखाई दी, ये खुर्पाताल था, खुरपा के आकार का बना होने के कारण इसे इस नाम से जाना जाता है ! सड़क के दाईं ओर पेड़ों के बीच से एक पहाड़ी की तलहटी में दिखाई देती ये झील बहुत सुन्दर लग रही थी ! आगे बढ़ने से पहले हमने गाडी सड़क के किनारे खड़ी करके इस झील के कुछ फोटो लिए ! कुछ दूर चलने पर सड़क किनारे माता मनसा देवी का मंदिर आया, यहाँ भी हाथ जोड़कर प्रार्थना की और कुछ समय बिताया ! हालांकि, ये मंदिर ज्यादा बड़ा नहीं था और हमें सड़क पर खड़े होकर ही प्रार्थना करनी पड़ी, लेकिन फिर भी यहाँ रूककर अच्छा लगा ! बगल में ही भैरव देवता का मंदिर भी था, भैरव देव को भी प्रणाम किया और आगे बढ़ गए !
कालाढूंगी नैनीताल मार्ग
खुर्पाताल का एक दृश्य
भैरव देवता का मंदिर
नैनीताल जाने का मार्ग 
नैनीताल जाने का मार्ग
थोडा और आगे बढे तो सड़क के दाईं ओर एक शिव मंदिर दिखाई दिया, इसका नाम तीन मूर्ति मंदिर था, हमने अनुमान लगाया कि शायद इस मंदिर में 3 मूर्तियाँ स्थापित की गई हो इसलिए ये नाम पड़ा ! लेकिन हमें तो दूर से 1 ही मूर्ति दिखाई दी, इसलिए अपने अनुमान को प्रमाणित नहीं कर सके ! वैसे, पहाड़ी मार्गों पर ऐसे छोटे-बड़े मंदिर बने होना आम बात है, जहाँ कुछ घर बन गए, वहीँ एक मंदिर की स्थापना भी हो ही जाती है ! फिर ऐसे पहाड़ी मार्ग पर लोग सुरक्षा की दृष्टि से भी धार्मिक स्थलों का निर्माण करवा ही देते है, ऐसा माना जाता है कि देवी-देवता इन मार्गों पर होने वाली घटनाओं से यात्रियों की रक्षा करते है ! नैनीताल पहुँचने से पहले इस रास्ते में कुछ अन्य मंदिर भी आए, इसके बाद हम लवर्स पॉइंट पहुंचे ! समझ नहीं आया क्या सोच कर इस स्थान का नाम रखा गया होगा, फिल्हाल तो ये लवर्स पॉइंट खच्चरों की लीद से भरा पड़ा था ! वैसे मैंने कई पर्यटकों स्थलों पर देखा है कि स्थानीय गाइड यहाँ आने वाले पर्यटकों से पैसा कमाने के लिए जबरदस्ती के व्यू पॉइंट बना देते है ! लोगों को भी लगता है आज 100 या 200 रूपए खर्च करके फलां व्यू पॉइंट देखे, और व्यू पॉइंट देखने के बहाने घोड़े की सवारी का भी आनंद ले लिया ! खैर, जाने दीजिये, वापिस अपनी यात्रा पर लौटते है ! 
माल रोड से दिखाई देती नैनी झील
लवर्स पॉइंट को पार करते हुए हम इको केव पहुंचे, आज यहाँ ज्यादा भीड़ नहीं थी लेकिन इको केव तो हम अपनी पिछली नैनीताल यात्रा के दौरान घूम ही चुके थे, इसलिए यहाँ बिना रुके आगे बढ़ गए ! ये मार्ग नैनीताल के माल रोड से होता हुआ आगे भुवाली को निकल जाता है ! आज माल रोड पर भी ज्यादा मारा-मारी नहीं थी, पिछली बार जब हम नैनीताल आए थे तो किसी राजनेता के आगमन के कारण यहाँ बहुत भीड़ थी, लेकिन आज हालात बेहतर थे ! पिछली बार हम नौकुचियाताल में रुके थे जबकि आज हमारा होटल (चिनार लेक व्यू) नैनीताल में चिड़ियाघर वाले मार्ग पर था, जो माल रोड से थोडा ऊँचाई पर था ! माल रोड पर पहुंचे ही मैंने अपने होटल वाले को फ़ोन कर दिया, नतीजन, होटल का एक कर्मचारी हमें लेने माल रोड पहुँच गया ! तब तक हम गूगल मैप के सहारे तल्लीताल पहुँच चुके थे, घूमकर वापिस आए तो माल रोड पर प्रवेश शुल्क की एवज में 100 रूपए का शुल्क देना पड़ा ! गाडी होटल से कुछ दूर एक पार्किंग में खड़ी करके हम अपना सामान लेकर होटल पहुंचे ! यहाँ कुछ कागजी कार्यवाही पूरी करने के बाद हम अपने कमरे में पहुंचे, होटल का कमरा ज्यादा बड़ा नहीं था लेकिन बालकनी से झील का शानदार नज़ारा दिखाई दे रहा था !

ओयो रूम से बुकिंग करते समय झील का ये व्यू देखकर ही मैंने इस होटल में बुकिंग की थी ! हाथ-मुंह धोकर कुछ देर बैठने के बाद हमने एक बैग में खाने-पीने का कुछ सामान रखा और घूमने के लिए नैनीताल के माल रोड पर निकल पड़े ! बालकनी से झील में तैरती नावों को देखकर बोटिंग की इच्छा तीव्र हो गई थी, पिछली नैनीताल यात्रा के दौरान इस झील में बोटिंग से वंचित रह गए थे इसलिए इस बार ये मौका गंवाना नहीं चाहते थे ! होटल से माल रोड पर आते हुए ढलानदार मार्ग था कुछ ही पलों में हम माल रोड पर थे यहाँ से नैनी झील का एक अलग ही रूप दिखाई दे रहा था ! थोड़ी देर पहले जब हम गाडी लेकर इधर से निकले थे तो झील में कई रंग-बिरंगी नावें तैर रही थी लेकिन जैसे-2 शाम हो रही थी नावों की गिनती कम होती जा रही थी ! हालत ये थी कि होटल से निकलते हुए ही हमें लगने लगा था कि आज तो बोटिंग नहीं हो पायेगी, लेकिन जब हम बोटिंग स्टैंड पर पहुंचे तो कुछ बोट वाले अब भी यहाँ खड़े थे ! इन्हीं में से एक बोट वाला हमारे पास आकर बोला !

"सर बोटिंग करवा दूं ?"

मैं बोला, अँधेरा होने वाला है, ऐसे में कहाँ बोटिंग हो पायेगी, झील भी ठीक से दिखाई नहीं देगी ! 

वो बोला, सर ऐसी कोई बात नहीं है, अगर आपका मन है तो मैं बोटिंग करवा दूंगा, वैसे भी कल तो होली की वजह से शायद बोटिंग ना हो !

होली वाले दिन बोटिंग ना होने की बात सुनकर अब तो हमें बोटिंग करनी ही थी, सोचा अगर कल बोटिंग नहीं हुई तो नैनी झील में बोटिंग रह ही जाएगी, अगर हुई तो दोबारा कर लेंगे ! वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि नैनी झील में बोटिंग कराने वालों ने झील को 2 हिस्सों में बांटा हुआ है ! छोटा चक्कर लगाने पर जहाँ आपको 160 रूपए देने होंगे वहीँ बड़े चक्कर के लिए आपको 210 रूपए खर्च करने होंगे ! वैसे तो यहाँ पेडल बोट भी है लेकिन अँधेरा होने में ज्यादा समय नहीं था इसलिए हमने शिकारा बोट से छोटा चक्कर लगाना ही उचित समझा ! फिर एक नाव में सवार होकर हम नौकायान के लिए चल दिए, सूर्यास्त होने को था और धीरे-2 अँधेरा भी बढ़ने लगा था ! 
नैनी झील का एक नज़ारा 

नैनी झील का एक नज़ारा 

नैनी झील का बोटिंग स्टैंड 
इस बीच सिन्दूरी रंग से नहाया आसमान का एक सिरा बड़ा शानदार लग रहा था, मन हुआ कि घंटो बैठ कर इस दृश्य को देखता रहूँ ! ना कोई शोर शराबा और ना रोजमर्रा की भागम-भाग, शहर की भीड़-भाड़ से दूर यहाँ नैनी झील में परिवार संग बिताए हर लम्हे को मैं महसूस कर पा रहा था ! एक वाकई एक सुखद अनुभव था, इस बीच जब हम नौकायान करते हुए झील के बीचों-बीच पहुंचे तो ठंडी हवाओं ने तन ही नहीं मन को भी तरोताजा कर दिया ! अगले कुछ ही पलों में दिनभर के सफ़र की सारी थकान दूर हो गई, अँधेरा तेजी से बढ़ने लगा था ! इस बीच पूरा नैनीताल शहर कृत्रिम रोशनी से जगमगा उठा, नैनीताल का ये सुन्दर रूप मैंने पहले कभी नहीं देखा था ! मन में उठ रहे कई सवालों का जवाब अपने आप मिल गया और मुझे ये समझ आने लगा था कि हर साल क्यों हज़ारों लोग नैनीताल की ओर खिंचे चले आते है ! बच्चों ने भी नौकायान की सवारी का खूब लुत्फ़ उठाया, 15-20 मिनट बाद जब हम नौकायान करके वापिस बोटिंग स्टैंड पर पहुंचे तो रात हो चुकी थी ! माल रोड पर पर्यटकों की भीड़ भी उमड़ने लगी थी, हम भी बोटिंग स्टैंड से निकलकर माल रोड पर पहुंचे ! किसी भी हिल स्टेशन के माल रोड की रौनक तो रात के समय ही देखने लायक होती है, ऐसे माल रोड पर घूमते हुए कब घंटो बीत जाते है पता ही नहीं चलता !
माल रोड पर सजी दुकानें 

माल रोड पर सजी दुकानें 
माल रोड पर खान-पान से लेकर साज-सज्जा, ऊनी कपडे और लकड़ियों के सजावटी सामान की दुकानें सजी हुई थी ! ऐसे ही कुछ दुकानों से हमने घर के लिए कुछ खरीददारी की, जैसे-2 रात होती जा रही थी, ठण्ड भी बढ़ने लगी थी ! हम रात्रि भोजन से पहले माँ नैना देवी के दर्शन करना चाहते थे इसलिए माल रोड से निकलकर मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर चल दिए ! पार्किंग क्षेत्र के बगल से जाता एक मार्ग नैना देवी के मंदिर की ओर जाता है, बगल में ही एक बाज़ार भी है ! नैनी झील के उत्तरी छोर पर स्थित इस मंदिर में माता सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है, मंदिर में 2 नेत्र है जो माँ नैना देवी को दर्शाते है ! माना जाता है कि जब भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे, तब जहां-जहां उनके शरीर के अंग गिरे वहां-वहां शक्तिपीठों की स्‍थापना हुई। नैनी झील के पास माता सती के नेत्र गिरे थे ! इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आप यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते है ! नैनी झील के आस-पास के धार्मिक स्थलों की जानकारी मैं आपको अगले लेख में दूंगा, फिल्हाल, यहाँ दर्शन करके आगे बढ़ते है ! मंदिर में नैना देवी के अलावा अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी है ! 
नैना मंदिर का प्रवेश द्वार

मंदिर के अन्दर का एक दृश्य

मंदिर के अन्दर का एक दृश्य

मंदिर के अन्दर का एक दृश्य

मंदिर से दिखाई देता नैनीताल

मंदिर के अन्दर का एक दृश्य
आधा घंटा मंदिर में बिताने के बाद हम बाहर आ गए, फिर मंदिर के सामने वाले बाज़ार में स्थित एक होटल में जाकर भोजन किया और वापसी की राह पकड़ी ! यहाँ से अपने होटल जाने में भी आधा घंटा लग गया ! चलिए, इस लेख पर फिल्हाल यहीं विराम लगाता हूँ, अगले लेख में मैं आपको नैनी झील के आस-पास स्थित अन्य धार्मिक स्थलों के बारे में बताऊंगा !

क्यों जाएँ (Why to go Nainital): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के समीप कुछ समय बिताना चाहते है तो नैनीताल आपके लिए एक बढ़िया विकल्प है ! इसके अलावा अगर आप झीलों में नौकायान का आनंद लेना चाहते है या हिमालय की ऊँची-2 चोटियों के दर्शन करना चाहते है तो भी नैनीताल का रुख़ कर सकते है ! 

कब जाएँ (Best time to go Nainital): आप नैनीताल साल के किसी भी महीने में जा सकते है, हर मौसम में नैनीताल का अलग ही रूप दिखाई देता है ! बारिश के दिनों में यहाँ हरियाली रहती है तो सर्दियों के दिनों में यहाँ भी कड़ाके की ठंड पड़ती है !

कैसे जाएँ (How to reach Nainital): दिल्ली से नैनीताल की दूरी महज 315 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 6-7 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से नैनीताल जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग मुरादाबाद-रुद्रपुर-हल्द्वानि होते हुए है ! दिल्ली से रामपुर तक शानदार 4 लेन राजमार्ग बना है और रामपुर से आगे 2 लेन राजमार्ग है ! आप नैनीताल ट्रेन से भी जा सकते है, नैनीताल जाने के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जो देश के अन्य शहरों से जुड़ा है ! काठगोदाम से नैनीताल महज 23 किलोमीटर दूर है जिसे आप टैक्सी या बस के माध्यम से तय कर सकते है ! काठगोदाम से आगे पहाड़ी मार्ग शुरू हो जाता है !   

कहाँ रुके (Where to stay near Nainital
): नैनीताल उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रुकने के लिए बहुत होटल है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 800 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! नौकूचियाताल झील के किनारे क्लब महिंद्रा का शानदार होटल भी है ! 


क्या देखें (Places to see near Nainital): नैनीताल में घूमने की जगहों की भी कमी नहीं है नैनी झील, नौकूचियाताल, भीमताल, सातताल, खुरपा ताल, नैना देवी का मंदिर, चिड़ियाघर, नैना पीक, कैंची धाम, टिफिन टॉप, नैनीताल रोपवे, माल रोड, और ईको केव यहाँ की प्रसिद्ध जगहें है ! इसके अलावा आप नैनीताल से 45 किलोमीटर दूर मुक्तेश्वर का रुख़ भी कर सकते है !


अगले भाग में जारी...


नैनीताल-रानीखेत यात्रा
  1. कालाढूंगी का कॉर्बेट वाटर फाल (Corbett Water Fall in Kaladungi)
  2. खुर्पाताल होते हुए नैनीताल – (Kaladungi to Nainital via Khurpatal)
  3. नैनीताल में स्थानीय भ्रमण (Sight Seen in Nainital)
  4. कैंची धाम – नैनीताल (Kainchi Dham in Nainital)
  5. झूला देवी मंदिर, रानीखेत (Jhula Devi Temple of Ranikhet)
  6. रानीखेत का टूरिस्ट रेस्ट हाउस (Tourist Rest House, Ranikhet)
  7. रानीखेत का कुमाऊँ रेजीमेंट (History of Kumaon Regiment, Ranikhet)
  8. रानीखेत में स्थानीय भ्रमण (Local Sight Seen in Ranikhet)
  9. अल्मोड़ा का कटारमल सूर्य मंदिर (Katarmal Sun Temple, Almora)
  10. रानीखेत का हेड़खान मंदिर (Hedakhan Temple of Ranikhet)
  11. रानीखेत से वापसी का सफर (Road Trip from Ranikhet to Delhi)
  12. रामनगर का जिम कॉर्बेट संग्रहालय (A Visit to Corbett Museum)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

6 Comments

  1. पुरानी यादें ताज़ा हो उठी।

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    1. जानकर अच्छा लगा कि आपकी यादें ताजा हो गई सचिन भाई, वैसे आपका ब्लॉग देखने के बाद ही मुझे ये दोनों जगहें देखने की इच्छा हुई थी ! अब गिर्जिया माता का मंदिर भी देखने की इच्छा है !

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  2. बढ़िया पोस्ट भाई जी .अपनी पिछली फरवरी में की गयी यात्रा की यादें ताज़ा हो गयी .

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